जेब पर भारी महंगाई, बिगडऩे लगा बजट
तीन माह में ही 225 रुपए बढ़े घरेलू गैस सिलेण्डर के दाम

दौसा. जिले में दिनों-दिन बढ़ते जा रहे पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस के दामों से आम आदमी का बजट अब बिगडऩे लगा है। एलपीजी गैस तो करीब तीन माह में 225 रुपए महंगी हो गई है। वहीं पेट्रोल के भाव शतक लगाने के नजदीक हैं। Heavy inflation on pocket, budget started deteriorating
जानकारी के अनुसार दौसा शहर में गत नवम्बर माह तक सिलेण्डर करीब 600 रुपए का मिल रहा था। 2 व 15 दिसम्बर को 50-50 रुपए की वृद्धि होने पर भाव 700 तक जा पहुंचा। इसके बाद नए साल के पहला माह शांति से गुजरा, लेकिन फरवरी में फिर से सिलेण्डर के भावों ने आसमान छू लिया। 4 फरवरी को 25 रुपए, 15 को 50 रुपए तथा 25 फरवरी को 25 रुपए की बढ़ोतरी से दाम 800.50 रुपए दौसा शहर में दाम हो गए। अब 1 मार्च को घरेलू सिलेण्डर पर 25 रुपए और बढ़ाने से दौसा शहर में 825.50 रुपए का मिल रहा है। वहीं आसपास के गांवों व कस्बो में 15-20 रुपए दर और भी अधिक है। परिवहन का खर्चा बढऩे से गांवों तक पहुंचते-पहुंचते सिलेण्डर महंगा हो जाता है। वहीं व्यावसायिक गैस सिलेण्डर की कीमत भी 95 रुपए बढऩे से करीब 1650 हो गई है। Heavy inflation on pocket, budget started deteriorating
जानकारी के अनुसार जिले में करीब 3.50 लाख घरेलू गैस के उपभोक्ता हैं। इनके घरो में करीब 3 लाख सिलेण्डरों की प्रतिमाह खपत होती है। वर्तमान में दौसा शहर में सिलेण्डर की दर 825.50 रुपए है। इस हिसाब से जिले में उपभोक्ताओं को करीब 25 करोड़ रुपए घरेलू गैस सिलेण्डरों पर खर्च करने पड़ रहे हैं। जबकि 3 माह पहले सिलेण्डर की रेट करीब 600 रुपए थी, तब 18 करोड़ खर्च हो रहे थे। इससे स्पष्ट है कि तीन माह में ही जिले के उपभोक्ताओं की जेब पर करीब 7 करोड़ रुपए अतिरिक्त भार बढ़
गया है।
एक साल में करीब 30 रुपए बढ़े : जिले में गत वर्ष वर्तमान में पेट्रोल के भाव करीब 69 रुपए के आसपास थे। वहीं बुधवार को पेट्रोल की रेट 98.35 रुपए रही। इसी तरह डीजल 62 रुपए के आसपास था, जो अब 90.54 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है।
इस तरह पड़ रहा असर
दौसा शहर में सार्वजनिक परिवहन सेवा की दरें करीब डेढ़ गुना बढ़ गई। न्यूनतम किराया ही दस रुपए हो गया।
- दूसरे राज्यों से ट्रांसपोर्ट के माध्यम से आने वाले माल पर करीब 15 फीसदी चार्ज अधिक लग रहा है।
- प्राइवेट जीपों में अब दौसा से जयपुर का किराया 50 रुपए हो गया है, पहले 30 से 40 रुपए तक था
- प्राइवेट टैक्सी करने पर 25 फीसदी अधिक दाम लग रहे हैं।
- किसानों का खेती करने का खर्च बढ़ा
Heavy inflation on pocket, budget started deteriorating
सब्सिडी भी नहीं मिलती
करीब 9 माह पूर्व तक रसोई गैस सिलेण्डर पर उपभोक्ता के खाते में सब्सिडी की राशि करीब तीन सौ रुपए जमा हो जाती थी। इससे दामों के बढऩे पर कोई खास असर नहीं होता था। सब्सिडी बंद होने के बाद से अब पूरा पैसे जेब से ही लग रहा है। लोगों की मांग है कि सरकार को पुन: सब्सिडी शुरू करनी चाहिए, ताकि लोगों को राहत मिल सके।
रसोई गैस के लगातार दाम बढऩे से घर का बजट गड़बड़ाने लगा है। लगातर दाम बढ़ाए जा रही है और सब्सिडी भी बंद कर दी है। कोरोना काल के बाद महंगाई की मार पड़ रही है। सरकार को शीघ्र राहत देने का रास्ता निकालना चाहिए।
मनीषा शर्मा, गृहिणी दौसा
पेट्रोल-डीजल के दामों ने तो हालत खराब कर दी है। कहीं भी जाना-आना पहले से डेढ़ गुना महंगा हो गया है। बेतहाशा दामों में वृद्धि हो रही है, इसके बावजूद रोकथाम के कोई उपाय नहीं किए जाना मनमानी है। मध्यमवर्ग की तो महंगाई से कमर ही टूट गई है।
मुकेश सैन, दौसा
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