दौसा

अच्छे लोग जुड़ेंगे तो बुरे स्वत: साफ हो जाएंगे

राजनीति में जातिवाद, धनबल, बाहुबल व भ्रष्टाचार दूर हो तो आए निखारराजस्थान पत्रिका के चेंजमेकर्स महाभियान में अधिवक्ताओं की सेमीनार

दौसाMay 17, 2018 / 05:52 pm

Mahesh Jain

दौसा. जिला मुख्यालय के न्यायालय परिसर स्थित बार एसोसिएशन हॉल में गुरुवार को राजस्थान पत्रिका के ‘स्वच्छ करो राजनीतिÓ चेंजमेकर्स बदलाव के नायक महाभियान के तहत अधिवक्ताओं की सेमीनार आयोजित हुई। इसमें बार अध्यक्ष दिनेश जोशी समेत करीब डेढ़ दर्जन अधिवक्ताओं ने पत्रिका के इस अभियान की सराहना करते हुए कहा कि राजनीति में बदलाव जरूरी है। बेदाग, योग्य व स्वच्छ छवि वाले व्यक्ति को ही राजनीति में आने का मौका दिया जाना चाहिए। अच्छे लोग जुड़ेंगे तो राजनीति से बुरे लोग स्वत: साफ हो जाएंगे।

इस अवसर पर जिला बार अध्यक्ष दिनेश जोशी ने कहा कि राजनीति में भ्रष्टाचार, धनबल व जातिवाद बढ़ता जा रहा है। राजनीति में शैक्षणिक योग्यता जरूरी है। राजस्थान पत्रिका की इस मुहिम से लोगों में जागृति आएगी। अधिवक्ता डीपी सैनी ने कहा कि चेंजमेकर्स से हर वह व्यक्ति जो योग्य है, उसको राजनीति में मौका मिलना चाहिए। पदमसिंह ने कहा कि अभियान के माध्यम से अच्छे लोगों को राजनीति में जागृत किया जाए। इससे बुरे लोग अपने आप ही दूर भाग जाएंगे।
 

जगजीवन राम बैरवा ने कहा कि पत्रिका का हर अभियान सराहनीय है। पंच-सरपंच पद के लिए जब शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की है, तो फिर सांसद व विधायक के लिए क्यों नहीं होनी चाहिए। महावीर डोई ने कहा कि राजनीति की गंदगी तभी साफ होगी, जब इसमें चेंज आएगा। आज हालात यह है कि बिना पढ़े लिखे लोग मंत्री बन रहे हैं। जितेन्द्र गंगावत ने कहा कि राजनीति में जब पढ़े लिखे लोग आएंगे, तब ही राजनीति स्वच्छ होगी। धनबल व दलबल की राजनीति देश के लिए अच्छी नहीं है।
 

लक्ष्मीनारायण मीना ने कहा कि राजनीति में हमेशा क्षेत्रीय लोगों को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। शैक्षणिक योग्यता जरूरी है। जयंत जोशी ने कहा कि राजनीति में दागी व दोषी को कोई स्थान नहीं मिलना चाहिए। शाकिर खान ने कहा कि राजनीति में पत्रिका के चेंजमेकर्स अभियान से जरूर निखार आएगा। ऐसे मापदण्ड होने चाहिए, जिसमें हर किसी को मौका मिले। रमेश खण्डेलवाल ने कहा कि कइयों ने तो राजनीति को प्रोफेशनल बना दिया है।
 

आज ईमानदार लोग राजनीति से दूरी बना रहे हैं। यहां तक कि लोग अपने बालकों को भी डॉक्टर व इंजीनियर बनाना पसंद करते हैं। राजेन्द्र जांगिड़ ने कहा कि राजनीति में शैक्षणिक योग्यता तो होनी ही चाहिए, बल्कि आयु भी निर्धारित होनी चाहिए। साठ वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को सरकारी सेवा से बाहर कर दिया जाता है तो फिर 80-90 वर्ष के व्यक्ति को राजनीति के शीर्ष पद की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है, जबकि इस उम्र में अधिकांश लोग बीमारी से ग्रसित होते हैं। अभिनन्दन गुप्ता ने कहा कि राजनीति में परिवारवाद नहीं होना चाहिए।
 

ऐसे नियम बने जो एक बार पद पर आ जाए उसको दूसरी बार मौका नहीं मिलना चाहिए। महेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि राजनीति में बाहुबल, जातिवाद, धनबल आदि को दूर करना चाहिए। रघुवीर सिंह गुर्जर ने बताया कि जब सहायक कर्मचारी को पद पर नियुक्त होने के लिए कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है, तो फिर राजनीतिक पद पाने वाले व्यक्ति की परीक्षा क्यों नहीं। राजनीति पद पर आवेदन करने वाले व्यक्तियों की भी पहले परीक्षा होनी चाहिए, उसके बाद ही उसको योग्य समझा जाए। कार्यक्रम में धर्मेन्द्र शर्मा, दीपक शर्मा, रामलाल गोठवाल, महेन्द्र शर्मा सहित कई अधिवक्ताओं ने विचार व्यक्त किए।
 

देश की राजनीति में वकीलों का रहा अहम योगदान
राजस्थान पत्रिका के चेंजमेकर्स अभियान में आए अधिवक्ताओं ने कहा कि दौसा की राजनीति देख लो या फिर देश की राजनीति में अधिवक्ताओं का अहम योगदान रहा है। दौसा के पण्डित नवलकिशोर शर्मा भी अधिवक्ता थे तो देश के पहले प्रधानमंत्री पण्डित नेहरू का परिवार ही वकालत के पेेशे से जुड़ा था। महात्मा गांधी ने भी वकालत पढ़ी थी। आज भी देश की राजनीति में कई बड़े राजनेता वकालत के पेशे से जुड़े हैं।
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