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प्रशासन ने जगह बदली तो नहीं खुली सब्जी-फल मण्डी….

locationदौसाPublished: Mar 28, 2020 08:17:40 am

Submitted by:

Rajendra Jain

दिनभर दुकानें खुली तो लॉकडाउन की पालना नहीं …
 

प्रशासन ने जगह बदली तो नहीं खुली सब्जी-फल मण्डी....

बांदीकुई शहर के बसवा रोड पर दुकानें नहीं खोलने से बंद पड़ी सब्जी मण्डी।

बांदीकुई. प्रशासन की ओर से एक ही जगह भीड़ एकत्र नहीं हो। इसके लिए शहर के बसवा रोड, गुढ़ारोड, सिकंदरा रोड, भाण्डेड़ा रोड एवं बडिय़ाल रोड पर जगह चिन्हित कर शुक्रवार से सब्जी मण्डी तय जगहों पर लगाए जाने के आदेश दिए थे, लेकिन सब्जी व फल विक्रेताओं ने सुविधाएं नहीं होने की बात कहते हुए मण्डी नहीं खोली। इससे आमजन को सब्जी व फलों के लिए खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। सब्जी व फल विक्रेताओं का कहना है कि उनके पास ठेले नहीं है। जिनके पास ठेले हैं वे पूरी तरह सहीं नहीं है।
बांदीकुई. प्रशासन की ओर से सुबह 7 से शाम 5 बजे तक राशन की दुकानें खोलें जाने के दिए गए आदेशों से लॉक डाउन की पालना होती दिखाई नहीं दे रही है। सुबह से ही लोगों का बाजार पहुंचना शुरू हो जाता है। जो कि शाम तक जारी रहता है। यदि पुलिस किसी को टोकती भी है तो अनावश्यक रूप से बाजार आने वाले लोग राशन सामग्री खरीदने आने का बहाना बनाते दिखाई देते हैं। इससे बाजार में लोगों की दिनभर आवाजाही बनी रही। दुकानों पर तो सोशल डिस्टेंस के लिए एक-एक मीटर की दूरी पर गोले बनाकर सामान बेचा गया, लेकिन अनावश्यक बाजार में आकर एक जगह एकत्रित होकर बातचीत करने वाले लोग सोशल डिस्टेंस की पालना करते दिखाई नहीं दिए। हालांकि ऐसे वाहन चालकों को रोककर पुलिस ने जुर्माना किया। कुछ दुकानों पर गेहूं का आटा 30 से 35 रुपए किलोग्राम एवं दाल सवा सौ रुपए प्रति किलोग्राम में व्यापारी बेचते दिखाई दिए। पुलिस की ओर से लोगों को मास्क लगाने एवं सैनेटाइजर का उपयोग किए जाने की बात कही।

दहाड़ी के मजदूर झेल रहे हैं आर्थिक दंश…
बांदीकुई. सुबह घर से मजदूरी करने जाते। शाम को जो मेहनताना मिलता है। उससे राशन सामग्री खरीदकर घर ले आते हैं। उससे घर का गुजर बसर होता आ रहा था, लेकिन अब कोरोना वायरस के कारण छह दिन से लॉक डाउन के चलते घर में कैद हैं। ऐसे में अब आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है। अब घर चलाने की चिंता सताने लगी है। बसवा रोड स्थित ढाबा संचालक मंगलराम सैनी का कहना है कि गत 20 मार्च से ढाबा बंद है। उसके स्वयं के पास कोई अन्य व्यवसाय नहीं है। ढाबे पर तीन अन्य लोग काम पर लगा रखे हैं। ऐसे में उन्हें ठाले बैठे को तनख्वाह देनी पड़ेगी। ये मजदूर लम्बे समय से कार्यरत हैं और अब मेहनताने के लिए तकाजा भी करने लगे हैं। राधेश्याम मीणा का कहना है कि पहले जयपुर, दौसा एवं अलवर मजदूरी करने के लिए चले जाते थे, लेकिन अब लॉक डाउन के चलते बाजार बंद होने व आवागमन बंद होने से आर्थिक संकट बढ़ गया है। किसान रंगलाल का कहना है कि पहले तो राम रूठ जाने पर ओलावृष्टि से फसल तबाह हो गई। जो कुछ बची तो अब कोरोना के चलते बाजार बंद पड़े हैं। जबकि फसल के लिए ग्राम सेवा सहकारी समितियों से ऋण लिया हुआ है। उस ऋण को भी नियत समय पर जमा कराए जाने की चिंता सताने लगी है।
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