संविदाकर्मियों पर छाया रोजगार का संकट
राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय में संविदा पर कार्यरत 15 कर्मचारी के रोजगार पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। राजकीय चिकित्सालय की मेडिकल रिलीफ सोसायटी घाटे में चल रही है। सूत्रों के मुताबिक चिकित्सालय की प्रतिमाह की आय करीब 1 लाख रुपए हैं। जबकि इन कर्मचारियों के भुगतान का करीब 1.39 लाख रुपए प्रतिमाह भुगतान सर्विसमैन वेलफेयर कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी को दिया जा रहा है। इसके चलते प्रतिमाह करीब 40 हजार रुपए मेडिकल रिलीफ सोसायटी घाटे में चल रही है और यह घाटा लगातार बढऩे से अब सोसायटी करीब 3 से 5 लाख रुपए घाटे में है। ऐसे में अब चिकित्सालय प्रशासन इन कर्मचारियों को हटाने की तैयारी कर सकता है।
इससे इन कार्मिकों के बेरोजगार होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। कार्मिकों को भी बेरोजगार होने का डर सताए
हुए हैं।
राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय में संविदा पर कार्यरत 15 कर्मचारी के रोजगार पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। राजकीय चिकित्सालय की मेडिकल रिलीफ सोसायटी घाटे में चल रही है। सूत्रों के मुताबिक चिकित्सालय की प्रतिमाह की आय करीब 1 लाख रुपए हैं। जबकि इन कर्मचारियों के भुगतान का करीब 1.39 लाख रुपए प्रतिमाह भुगतान सर्विसमैन वेलफेयर कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी को दिया जा रहा है। इसके चलते प्रतिमाह करीब 40 हजार रुपए मेडिकल रिलीफ सोसायटी घाटे में चल रही है और यह घाटा लगातार बढऩे से अब सोसायटी करीब 3 से 5 लाख रुपए घाटे में है। ऐसे में अब चिकित्सालय प्रशासन इन कर्मचारियों को हटाने की तैयारी कर सकता है।
इससे इन कार्मिकों के बेरोजगार होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। कार्मिकों को भी बेरोजगार होने का डर सताए
हुए हैं।
चिकित्साकर्मियों की संख्या में नगण्य हैं आवास
चिकित्सालय सूत्रों के मुताबिक राजकीय चिकित्सालय में 11 चिकित्सक कार्यरत हैं। इसके अलावा 17 नर्सिंग स्टॉफ एवं रेडियोग्राफर, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, स्वीपर सहित करीब 50 कर्मचारियों का स्टाफ है, लेकिन यहां मात्र 7 आवास हैं। इनमें दो चिकित्सकों, 4 नर्सिंग स्टॉफ व एक वार्ड ब्वॉय रह रहे हैं। आवास पर्याप्त नहीं होने के कारण चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ को किराए पर मकान लेकर रहना पड़ता है या फिर अपडाउन करके काम चलाना पड़ रहा है। हालांकि डेढ़ करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत होने पर चिकित्साकर्मियों को कुछ उम्मीद जगी थी, लेकिन यह राशि लैप्स हो जाने पर अरमानों पर पानी फिर गया।
चिकित्सालय सूत्रों के मुताबिक राजकीय चिकित्सालय में 11 चिकित्सक कार्यरत हैं। इसके अलावा 17 नर्सिंग स्टॉफ एवं रेडियोग्राफर, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, स्वीपर सहित करीब 50 कर्मचारियों का स्टाफ है, लेकिन यहां मात्र 7 आवास हैं। इनमें दो चिकित्सकों, 4 नर्सिंग स्टॉफ व एक वार्ड ब्वॉय रह रहे हैं। आवास पर्याप्त नहीं होने के कारण चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ को किराए पर मकान लेकर रहना पड़ता है या फिर अपडाउन करके काम चलाना पड़ रहा है। हालांकि डेढ़ करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत होने पर चिकित्साकर्मियों को कुछ उम्मीद जगी थी, लेकिन यह राशि लैप्स हो जाने पर अरमानों पर पानी फिर गया।
जमीन नहीं मिलने से अन्यत्र भेज दी राशि
राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय में जगह की कमी थी। श्यालवास में भूमि आवंटन होनी थी, लेकिन आवंटन की कार्रवाई अटक जाने के कारण यह राशि अन्यत्र स्थानान्तरित कर दी गई है। लैप्स होने जैसी कोई बात नहीं है। अब भूमि आवंटन होने के बाद नए सिरे से कार्रवाई की जाएगी।
डॉ.आरपी मीणा, ब्लॉक सीएमएचओ बांदीकुई
मामले की कराएंगे जांच
मेडिकल रिलीफ सोसायटी की राजस्व आय तो बढ़ी है, लेकिन घाटे में कैसे चल रही है। इस मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
गोविंदसहाय बैरवा, प्रभारी, राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय बांदीकुई
मेडिकल रिलीफ सोसायटी की राजस्व आय तो बढ़ी है, लेकिन घाटे में कैसे चल रही है। इस मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
गोविंदसहाय बैरवा, प्रभारी, राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय बांदीकुई