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भाजपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी दौसा लोकसभा सीट, जानें कौन हैं प्रमुख दावेदार

locationदौसाPublished: Mar 20, 2019 11:03:24 am

Submitted by:

santosh

Lok Sabha Elections 2019- भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के लिए Dausa Lok Sabha Constituency प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है।

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दाैसा। Lok Sabha Elections 2019- भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के लिए Dausa Lok Sabha Constituency प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है। ऐसे में प्रत्याशियों की घोषणा में कोई भी पार्टी जल्दबाजी नहीं कर रही। विधानसभा चुनाव में क्षेत्र की 4 सीटें जीत चुकी कांग्रेस को यहां से जीत की पूरी उम्मीद है। वहीं विधानसभा चुनाव में जिले में खाता भी नहीं खोल पाई भाजपा इस सीट को हर हाल में जीतकर सीट को अपने कब्जे में रखना चाहती है।
सगे भाइयों की टक्कर ने दिलचस्प बनाया मुकाबला
दौसा सीट पर काबिज होने के लिए दोनों दल राजनीतिक समीकरण देखकर ही प्रत्याशी मैदान में उतारेंगे। 2014 के लोकसभा चुनाव में दौसा से हरिश मीणा ने भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। चुनाव में दो सगे भाइयों की टक्कर (भाजपा से हरिश मीणा और कांग्रेस से नमोनारायण मीणा) ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया था। वहीं मीणा समुदाय के कद्दावर नेता किरोणीलाल मीणा राजपा से मैदान में थे।
हरिश ने किरोड़ी की वजह से छोड़ी भाजपा!
चुनाव में हरीश मीणा ने किरोड़ी लाल मीणा को 45,404 वोट से पराजित किया, जबकि कांग्रेस के नमोनारायण मीणा तीसरे स्थान पर रहे। मार्च 2018 में किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी पार्टी राजपा का विलय भाजपा में कर दिया। किरोड़ी लाल मीणा के भाजपा में शामिल होकर राज्यसभा चले जाने से हरीश मीणा की पार्टी में अहमियत कम हो गई।
विधानसभा चुनावों के ठीक पहले हरिश मीणा भाजपा छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामकर देवली से विधायक बन गए। हालांकि राजस्‍थान विधानसभा चुनाव में भाजपा का दांव उल्टा पड़ गया। चुनाव में किराड़ी लाल मीणा की पत्नी गोलमा देवी और भतीजा राजेंद्र मीणा को करारी शिकस्‍त का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा जिसको भी किराड़ी ने टिकट दिलाया वह चुनाव नहीं जीत पाया।
दौसा में कांग्रेस का रहा है दबदबा
दौसा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की बस्सी, चाकसू, थानागाजी, बांदीकुई, महुवा, सिकराय, दौसा और लालसोट सीट आती है। दौसा में अब तक के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का दबदबा रहा है। 1952, 1957 में इस सीट से कांग्रेस को कामयाबी मिली तो 1962, 1967 में स्वतंत्र पार्टी ने यहां परचम लहराया। 1971 में कांग्रेस, 1977 में भारतीय लोकदल, 1980, 1984 में कांग्रेस ने फिर वापसी की। कांग्रेस के दिवंगत नेता राजेश पायलट 1984, 1991, 1996, 1998 में यहां से सांसद रहे।
राजेश पायलट के निधन के बाद साल 2000 में हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी रमा पायलट विजयी हुईं, जबकि साल 2004 के लोकसभा चुनाव में राजेश पायलट के पुत्र सचिन पायलट विजयी हुए। 2009 के परिसीमन में यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गई। 2009 में निर्दलीय उम्मीदवार किरोड़ी लाल मीणा यहां से एक लाख से अधिक वोटों से चुनाव जीतकर सांसद बने। 2014 में यहां से भाजपा के हरिश मीणा के सिर जीत का सेहरा बंधा। हरीश मीणा की जीत के साथ दौसा में भाजपा को 25 साल बाद विजय नसीब हुई थी।
भाजपा और कांग्रेस के दावेदार
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए दौसा से पैनल में भाजपा से ब्रजमोहन मीणा, रामकिशोर मीणा, प्रेम प्रकाश (भाजपा के बागी विधायक ओम प्रकाश हुड़ला की पत्नी) के नाम पर शामिल है। कांग्रेस से दौसा विधायक मुरारीलाल मीणा की पत्नी सविता मीणा और उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा के पुत्र कमल मीणा प्रमुख दावेदार हैं।
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