बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि नीलाम हुए अनाज को शाम 7 बजे तक बोरियों में भरकर तोला जाएगा, अनाजों की छनाई बाद में बचने वाला छानस को अब पल्लेदार न ले जाकर किसान ही ले जा सकेंगे। पहले पल्लेदार छनाई के बाद बचने वाला छानस को ले जाते थे। इन मांगों समेत अन्य पर बैठक में सहमति बनी। बैठक में समझौता होने के बाद में मंडी में नौ दिनो बाद फिर से कामकाज शुरू हो पाया, जिससे दूरदराज से अपना अनाज बेचने वाले किसानों को राहत मिल सकी।
इस मौके पर उपखंड अधिकारी ङ्क्षपकी मीणा, तहसीलदार ओ.पी. बैरवा, मंडी सचिव संतोष मीणा, विनय शर्मा, नाथूलाल बैरवा, व्यापारी एसोशिएशन मंत्री राजेंद्र विजय, विजय जैन, सीताराम सैनी पल्लेदार संघ अध्यक्ष, भगवान सहाय सैनी पल्लेदार संघ मंत्री सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
नौ दिन में 4.50 करोड़ का कारोबार हुआ प्रभावित
मंडी में पल्लेदारों की हड़ताल के चलते नौ दिनों तक कामकाज लगभग ठप रहा, जिससे मंडी में करीब 4.50 करोड़ का कारोबार प्रभावित रहा। मामले को लेकर मंडी और स्थानीय प्रशासन गंभीरता से नहीं लेने के कारण पल्लेदारों की हड़ताल नौ दिनों तक चलती रहीं। मंडी व्यापारी संघ के मंत्री राजेन्द्र विजय ने बताया कि प्रतिदिन करीब 45 लाख का कारोबार प्रभावित रहा है। मंडी में इस समय बाजरा, सरसों, चना गेहूं सहित अन्य ङ्क्षजस की 1000 से 2000 बोरियां आती हैं।
मंडी में पल्लेदारों की हड़ताल के चलते नौ दिनों तक कामकाज लगभग ठप रहा, जिससे मंडी में करीब 4.50 करोड़ का कारोबार प्रभावित रहा। मामले को लेकर मंडी और स्थानीय प्रशासन गंभीरता से नहीं लेने के कारण पल्लेदारों की हड़ताल नौ दिनों तक चलती रहीं। मंडी व्यापारी संघ के मंत्री राजेन्द्र विजय ने बताया कि प्रतिदिन करीब 45 लाख का कारोबार प्रभावित रहा है। मंडी में इस समय बाजरा, सरसों, चना गेहूं सहित अन्य ङ्क्षजस की 1000 से 2000 बोरियां आती हैं।