तोडऩे से मीना सीमला गांव के लोगों में रोष व्याप्त हो गया। तहसीलदार रामकुंवार व आरएसआरडीसी के परियोजना निदेशक जेपी मीना के निर्देशन में राजस्वकर्मियों तथा विभाग की टीम ने पुलिस की मौजूदगी में कार्रवाई शुरू की।
बस स्टैण्ड के पास से शुरू हुई कार्रवाई महंत किशोरपुरी अस्पताल के सामने तक चली। जहां दर्जनभर से अधिक पुख्ता निर्माण को ध्वस्त किया गया। स्टैण्ड के पास कार्रवाई के दौरान प्रशासन को स्थानीय लोगों के विरोध का भी सामना करना पडा। अब तक बालाजी मोड़ से लेकर एमकेपी अस्पताल तक करीब सवा दो किलोमीटर सड़क के किनारे से अतिक्रमण को हटाया जा चुका है। ऐसे में अब अतिक्रमण हटने से फोरलेन निर्माण की राह खुल गई है।
गौरतलब है कि बालाजी धाम में सड़कों का विकास कराने के लिए 16 करोड़ रुपए खर्च होंगे। सड़क निर्माण कार्य राजस्थान राज्य सड़क विकास निगम के निर्देशन में किया जा रहा है।
इस दौरान आरएसआरडीसी के परियोजना अधिकारी बीएस शर्मा, अभियंता आरपी शर्मा, नायब तहसीलदार प्रेमराज मीना, जेईएन संतोष सैनी, गिरदावर सुरेश मीना, पटवारी पप्पू सैनी, पूरण सैनी, विजेन्द्र मीना समेत पुलिस जाप्ता भी तैनात रहा।
जताया विरोध
इधर, अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान नवीन पुलिस थाना भवन के सामने स्थित मीना सीमला गांव के प्राचीन शिव मंदिर के प्रवेश द्वार का छज्जा तोडऩे का लोगों ने विरोध जताया है। ग्रामीणों का कहना है कि पैमाइश के दौरान मंदिर का गेट काफी दूर था। इसके बावजूद प्रशासन द्वारा जबरन गेट का छज्जा तोड़ दिया गया। लोगों ने विभागीय अधिकारियों की शिकायत उच्चाधिकारियों से करने की बात कही है।
इधर, अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान नवीन पुलिस थाना भवन के सामने स्थित मीना सीमला गांव के प्राचीन शिव मंदिर के प्रवेश द्वार का छज्जा तोडऩे का लोगों ने विरोध जताया है। ग्रामीणों का कहना है कि पैमाइश के दौरान मंदिर का गेट काफी दूर था। इसके बावजूद प्रशासन द्वारा जबरन गेट का छज्जा तोड़ दिया गया। लोगों ने विभागीय अधिकारियों की शिकायत उच्चाधिकारियों से करने की बात कही है।
जानकारी के अनुसार नाली निर्माण शुरू होने से पूर्व प्रशासन द्वारा मुख्य बाजार में भी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी। इस सम्बंध में परियोजना निदेशक जेपी मीना ने बताया कि स्वीकृत प्लान में तय सीमा से पांच फीट कम अधिग्रहण किया जा रहा है। अतिक्रमण के बारे माइक से अनाउंस कराया था। ऐसे में अतिक्रमण को हटाने के लिए नोटिस देने की कोई जरूरत नहीं थी।