Mid-day meal scheme: Cook are not getting paid for three month इन कुक कम हैल्परों को मेहनताने के नाम पर भी मात्र 1320 रुपए मिलता है। जो भी ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है, लेकिन इसमें भी बजट की कमी परिवार के संचालन में रोड़ा बनी हुई है। ऐसी स्थिति में कुक कम हैल्पर कर्ज लेकर त्योहार मनाने की तैयारियों में जुटे हुए हैं। शिक्षा विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक राÓय में करीब सवा लाख कुक कम हैल्पर कार्यरत हैं। इसमें दौसा जिले में 18 सौ विद्यालयों में करीब 2747 कुक कम हैल्पर कार्यरत हैं। इनका जुलाई, अगस्त व सितम्बर सहित तीन माह का भुगतान करीब सवा करोड़ रुपए बनता है।
ये कुक कम हैल्पर कक्षा 1 से 8 तक के करीब 1 लाख 33 हजार ब”ाों के लिए पोषाहार बनाते हैं। इसमें बांदीकुई में 480, महुवा 380, लवाण 300, लालसोट 727 सिकराय 480 एवं दौसा में 380 कुक कम हैल्पर कार्यरत हैं। जो कि दौसा में 19 हजार 300, बांदीकुई 22हजार, महुवा 20 हजार, सिकराय 22 हजार 300, लालसोट साढ़े 35 हजार एवं लवाण में 14 हजार छात्रों को पोषाहार पकाकर खिला रहे हैं, लेकिन इन कुक कम हैल्परों का कोई धणीधोरी नहीं है। अब 22 अक्टूबर से दीपावली अवकाश शुरू हो जाएगा। ऐसे में अब भुगतान होता दिखाई नहीं दे रहा है। यह स्थिति राÓय के अन्य जिलों की भी है। जहां भी बजट आवंटन के अभाव में भुगतान नहीं मिल रहा है।
अब उधारी का भी तकाजा हो गया शुरू
सरकार की अनदेखी के चलते मिड डे मील योजना पूरी तरह चरमराई हुई है। शिक्षकों को भी पोषाहार सामग्री का भुगतान भी कई माह से नहीं मिल रहा है। ऐसे में बाजार से उधारी में सामान खरीदकर पोषहार वितरण करना पड़ रहा है, लेकिन दीपावली त्योहार आने से व्यापारी भी तकाजा करने लगे हैं। ऐसे में कुछ शिक्षकों ने जेब से भुगतान कर दिया। तो कुछ शिक्षक एक-दो रोज में भुगतान होने की बात कहकर दिलासा दे रहे हैं। जबकि कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए 4.35 रुपए एवं कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों को 6.51 रुपए के हिसाब से पोषाहार का भुगतान दिया जाता है। इस हिसाब से करीब करीब तीन माह का 6 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान पोषाहार राशि का है। जो भी तीन माह से नहीं मिल रहा है। जबकि चौथा माह भी खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है।
घर के रहे ना घाट के
कुक कम हैल्परों का कहना है कि विद्यालय में 3 से 4 घण्टे काम में लग जाते हैं। ऐसे में दूसरा काम भी नहीं कर पा रहे हैं। यदि कहीं मजदूरी करने भी जाए तो 3 सौ रुपए मिलते हैं, लेकिन यहां स्थाईकरण की आस में वर्षों से पोषाहार पका रहे हैं, लेकिन सरकार का स्थाईकरण करना तो दूर की बात है उचित मेहनताना भी नियत समय पर नहीं मिल पा रहा है।
हैल्पर सुनीता देवी का कहना है कि वे घर व खेती का कार्य कर विद्यालय पहुंच पोषाहार पकाकर काम चल रहे हैं। पोषाहार पकाने में दिनभर बीत जाता है। इस हिसाब से औसतन प्रतिदिन 44 रुपए मेहनताना जो भी कई माह के अंतराल में मिलता है। कुक कम हैल्पर विद्या देवी का कहना है कि घर का पांच लोगों का भोजना बनाना मुश्किल होता है, लेकिन दो जून की रोटी के लिए स्कूल में दो सौ बालकों का गर्मी-सर्दी व बारिश में विद्यालय पहुंच पोषाहार पकाते हैं। इससे मिलने वाली राशि से घर का सहारा लग जाए, लेकिन सरकार उनके साथ भेदभाव बरत रही है।
बजट आते ही कर दिया जाएगा भुगतान
मिड डे मील योजना में कुक कम हैल्पर एवं पोषाहार राशि की डिमाण्ड भेज रखी है। बजट आने पर शीघ्र ही राशि खातों में हस्तानांतरित करा दी जाएगी।
-चौथमल मीणा, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी बांदीकुई