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बंदर व श्वानों के हमलों का लोगों पर बढ़ता जख्म

locationदौसाPublished: Oct 15, 2019 12:35:30 pm

Submitted by:

Rajendra Jain

Monkey and dog attacks on people increasing wounds….. घायलों की बढ़ती संख्या से भी पालिका नहीं ले रही सीख

बंदर व श्वानों के हमलों का लोगों पर बढ़ता जख्म ....

बंदर व श्वानों के हमलों का लोगों पर बढ़ता जख्म

बांदीकुई. भले ही पालिका प्रशासन आवारा जानवर व बंदरों को पकडऩे का ढिंढोरा पीट रही हो, लेकिन हकीकत इससे परे हैं। बंदर व श्वानों के हमलों का जख्म प्रतिवर्ष शहरवासियों पर बढ़ता जा रहा है। ऐसे में लोगों को मजबूरन सुरक्षा के लिए घरों को चारों ओर से बंद कराना पड़ रहा है।
शहर में बंदरों का आतंक इतना बढ़ गया है कि लोग बाजार से थैले में फल व सब्जी लेकर घर तक सुरक्षित तक नहीं पहुंच पा रहे हैं और बंदर रास्ते में ही थैले तक को छीन ले जाते हैं। चिकित्सालय से मिले आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2016 में 869 लोग श्वान व बंदरों के हमले से जख्मी हो चुके हैं। जबकि वर्ष 2017 में 1712, वर्ष 2018 में 14 सौ एवं वर्ष 2019 में अब तक करीब एक हजार से अधिक लोग जख्मी हो चुके हैं। लोगों के जख्मी होने पर राजकीय चिकित्सालय में रेबीज का इंजेक्शन लगवाकर उपचार कराना पड़ता है। इसमें भी आए दिन रेबीज के इंजेक्शन खत्म हो जाने पर लोगों को जेब ढीली करके बाजार से इंजेक्शन खरीदने पड़ते हैं। वहीं रेलवे स्टेशन पर भी यात्रियों का बंदरों के आतंक से बैठना तक मुश्किल हो रहा है, लेकिन पालिका प्रशासन का इन बंदरों को पकड़वाकर अन्यत्र छुडवाए जाने की ओर कोई ध्यान नहीं है।
बजट को लगाया जा रहा है ठिकाने
हाल ही में नगरपालिका प्रशासन की ओर से करीब ढाई लाख रुपए का बंदरों को पकडऩे का ठेका भी मथुरा (उत्तरप्रदेश) की एक फर्म को दिया गया है। हालांकि फर्म की ओर से कई जगहों पर बंदरो को पकडऩे के लिए जाल भी रखवा दिए गए
हैं, लेकिन ये जाल शोपीस बनकर रखे हुए हैं। गत वर्ष 2018 में भी पालिका की ओर से करीब डेढ़ लाख रुपए का ठेका पालिका ने दिया था। बतायाजा रहा है कि एक भी बंदर को अन्यत्र नहीं छोडा गया। जबकि प्रतिवर्ष बंदरों को पकडऩे के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
कानूनी अड़चन लील रही है लोगों की जिंदगी
सूत्रों के मुताबिक शहर सहित पालिका फेराफेरी क्षेत्र में अब तक आवारा जानवर (सांड) व गायों के हमले से करीब छह लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि दर्जनभर लोग घायल हो चुके हैं। इसके अलावा बाजार में आए दिन सांडों के आतंक से व्यापारी व आमजन परेशान है। हालांकि पालिका प्रशासन की ओर से इन आवारा जानवरों को पकडऩे के लिए करीब साढ़े 4 लाख रुपए का टेण्डर जारी कर संवेदक को कार्य आदेश जारी किया गया है, लेकिन इसमें कानूनी अड़चन आने के कारण आवारा जानवर लोगों की जिंदगी को लील रहे हैं। जब सम्बंधित संवेदक आवारा जानवर गाय व सांड़ों को पकड़कर अन्यत्र छोडऩे के लिए लेकर जाता है पुलिस की ओर से सहयोग नहीं मिल पाता है। ऐसे में संवेदक को भी गौ तस्करी के मामले में फंसने का डर सताए रहता है। इससे भी पालिका की ओर से जारी की गई टेण्डर प्रक्रिया भी कागजों में ही सिमटती दिखाई दे रही है। बसवा रोड, सिकंदरा रोड, बडिय़ाल रोड एवं गुढ़ारोड़ पर काफी संख्या में आवारा जानवर सड़कों पर विचरण करते रहते हैं। इससे दुर्घटनाओं में भी इजाफा होता जा रहा है।

टेण्डर जारी कर दिए कार्य आदेश
श्वान, बंदर व आवारा जानवरों के हमलों से लोग जख्मी होते जा रहे हैं। ऐसे में बंदरों का ढाई एवं आवारा जानवरों को पकडऩे का साढ़े 4 लाख रुपए का टेण्डर जारी कर सम्बंधित संवेदक को कार्य आदेश जारी कर दिए हैं। बंदरों को पकडऩे के लिए जाल भी रख दिए हैं। आवारा जानवरों को पकडऩे से पहले पुलिस से भी बातचीत कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
लक्ष्मी जायसवाल, चेयरमैन नगरपालिका बांदीकुई

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