दौसा

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में की माता की गोद भराई

Mother’s baby shower at the Panchakalyanak Pratishtha Festival…. धर्म की राह पर चलने से ही उद्धार-ज्ञानसागर
 

दौसाDec 03, 2019 / 08:37 pm

Rajendra Jain

बसवा. पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में माता की गोद भराई करती महिलाएं।

बसवा. कस्बे के रामपुरा रोड स्थित जैन नसियाजी मंन्दिर में संत ज्ञानसागर व ज्ञेयसागर के सानिध्य में चल रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में मंगलवार को दूसरे दिन गर्भकल्याणक व माता की गोद भराई की गई। इससे पहले सुबह नित्य अभिषेक, शांतिधारा पं. जयकुमार व नितिन द्वारा स्वर लहरी में की गई। इसके बाद प्रवचन में ज्ञानसागर ने कहा कि संसारी प्राणी अनंतकाल से इस संसार में जन्म-मरण के दुखों को सहन कर रहा है और चौरासी लाख योनियों में परिभ्रमण कर रहा है। इन दुखों से छुटकारा पाने के लिए धर्म की राह पर चलना होगा।
तब ही मनुष्य का उद्धार होना संभव है। दोपहर में सीमंतनी क्रिया ओर माता की गोद भराई की गई। इसमें महिलाओं ने माता की गोद भराई बडे हर्ष के साथ की। घटयात्रा के जल से मंदिर की वेदी शुद्धि की गई। रात को आरती, महाराज नाभिराय का दरबार, तत्वचर्चा, कुबेर द्वारा अयोध्या की रचना करना, रत्नवृष्टि ओर छप्पन कुमारियों के द्वारा माता की सेवा की गई।
उसके बाद सोलह स्वप्न दर्शन एंव गर्भकल्याणक की आंतरिक क्रियाएं की गई। पंचकल्याणक महोत्सव देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। माणकचन्द, सुधीर जैन, सुमुत जैन, सुबोध, अनिल, महेन्द्र, राजेन्द्र, दीपक, जिनेन्द्र, संतोष, रजत, प्रकाश जैन आदि मौजूद थे।
आज होगा ताण्डव नृत्य
कार्यकता डॉ. महावीर सेठी ने बताया कि पंचकल्याणक महोत्सव में बुधवार सुबह नित्य पूजन, नाभिराय द्वारा बधाइयां के बाद इन्द्राणी द्वारा बालक आदिकुमार को प्रसूतिगृह से लाना ओर इन्द्र को सौंपना, ताण्डव नृत्य का आयोजन होगा।

कृष्ण-रुकमणी विवाह में पीले हाथ कर किया कन्यादान
गुढ़लिया-अरनिया. क्षेत्र के ग्राम प्रतापपुरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में मंगलवार को कृष्ण-रुकमणी विवाह हुआ। इसमें सजीव झांकियां प्रस्तुत कर कृष्ण-रुकमणी ने एक दूसरे के वरमाला डाली। श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
लोगों ने पीले हाथ कर कन्यादान में वस्त्र, बर्तन एवं अन्य उपहार भेट किए। आचार्य रोहित कृष्ण ने कहा कि मनुष्य को जीवन में कन्यादान जरूर करना चाहिए। इससे पुण्य की प्राप्ति होने के साथ ही आत्मिक सुख मिलता है। उन्होंने कृष्ण-सुदामा मित्रता, रासलीला, कंस वध, रुकमणी मंगल से जुड़ा प्रसंग सुनाया।
भजनों पर श्रद्धालु भाव विभोर होकर नाचे। इससे समूचा वातावरण भक्तिमय हो गया। टीकमसिंह बैंसला ने बताया कि बुधवार को सुखदेव विदाई कार्यक्रम होगा। इस मौके पर मूलचंद गुर्जर, डॉ.रामकिशोर गुर्जर, गिर्राजप्रसाद, नहनूराम, मुकेश सेठ, राजेन्द्र बैंसला, रामावतार, रमेश जागवाला, लक्ष्मण, जीतू प्रतापपुरा भी मौजूद थे।

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