उल्लेखनीय है कि कलक्टर ने प्रत्येक पंचायत समिति स्तर जांच कमेटियां गठित कर ब्लॉक विकास अधिकारियों को 10 अक्टूबर तक जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। खास यह है कि केवल राजस्थान पत्रिका की ओर से इस मामले में 21 सितंबर के अंक में ‘वृद्धावस्था पेंशन में लाखों रुपए का गड़बड़झाला ‘ शीर्षक से खबर प्रकाशित कर मामले को प्रमुखता से उजागर किया गया। इसके बाद 22 सितंबर को ‘पेंशन की बंदरबांट : 8 माह में 8000 की पेंशन स्वीकृति जारीÓ, सहित श्रृंखलाबद्ध खबरें प्रकाशित होने पर प्रशासन में हड़कंप मच गया। मामले में स्थानीय पंचायत समिति प्रशासन ने भी एक बाबू को निलंबित कर दिया था। क्षेत्र में पिछले कई माह से ई मित्र संचालकों, तहसील कार्यालय व पंचायत समिति कार्यालय में बैठे कुछ बाबुओं की मिली भगत से प्रतिमाह सैकड़ों अपात्र जनों को वृद्धावस्था व अन्य पेंशन जारी की जा रही है, जिससे प्रतिमाह सरकारी खजाने को लाखों रुपए की चपत लग रही है और अपात्र भी वृद्धावस्था एवं विकलांग पेंशन के मजे उठा रहे हैं। सरकारी अधिकारियों की अनदेखी से ई मित्र संचालकों ने हजारों अपात्रों के आवेदनों को ऑन लाइन अपलोड कर दिए, जिसके बाद तहसील कार्यालय व पंचायत समिति कार्यालयों मेें बैठे बाबूओं ने बिना कोई दस्तावेज चैक किए ही अपात्रों की पेंशन स्वीकृतियां जारी की गई।
अपात्रों को फर्जी पेंशन जारी होने के इस गड़बाड़झाले के दौरान तहसील कार्यालय व पंचायत समिति में बैठे अधिकारियों ने भी अपनी आंखें मूंद ली। अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के भरोसे बैठे इन अधिकारियों ने आवेदनों की जांच करने की कोशिश भी नहीं की। अगर पेंशन स्वीकृति के प्रथम लेवल के दौरान तहसील कार्यालय में ही इस फर्जीवाड़े को रोक दिया जाता तो बात ही आगे नहीं बढ़ती, लेकिन वहां बैठे अधिकारियों व कर्मचारियों ने भी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया और अपात्रों के आवेदनों को द्वितीय लेवल यानी पंचायत समिति कार्यालय में भेज दिया, जहां भी अधिकारियों व कर्मचारियों ने जांच किए बिना ही इन आवेदनों की स्वीकृति जारी कर दी।
पेंशन में फर्जीवाड़ा करने के लिए सबसे पहले ई मित्र संचालकों ने आवेदकों के भामाशाह कार्ड मेंं भी संशोधन कराने की प्रक्रिया को अंजाम दिया। कुछ ही दिनों में भामाशाह कार्ड में संशोधन के बाद ई मित्र संचालकों ने बिना कोई पर्याप्त दस्तावेज लगाए अपात्र जनों के आवेदनों को वृद्ध जन पेंशन के लिए ई मित्र संचालक ऑन लाइन आवेदन कर दिया गया। जिसके बाद ई मित्र संचालकों ने तहसील कार्यालय व पंचायत समिति कार्यालय में इन आवेदनों की जांच करने वाले बाबूओं से मिली भगत करते हुए अपात्रों को पेंशन स्वीकृ़त करा दी।
लालसोट के शहरी व ग्रामीण इलाकों में इस वर्ष माह 1 जनवरी से लेकर 20 सितम्बर तक बीते करीब आठ माह मेेें आठ हजार से अधिक पेंशन आवेदनों को स्वीकृति मिली है, इनमे 6410 से आवेदन अकेले वृद्धावस्था पेंशन योजना के स्वीकृत हुए हंै। पेंशन योजनाओं के आवदेनों को जिस दरियादिली के साथ संबधित विभागों के कर्मचारियों ने स्वीकृति प्रदान की है, उससे यह साफ जाहिर होता है कि जरुर कई पेंशन स्वीकृति के मामलों में नियमों को तांक में रखा गया है।
लालसोट वृद्धावस्था पेंशन योजना में ऑन लाइन प्रक्रिया की आड़ लेकर जम कर फर्जीवाड़ा किया गया है। करीब दो साल पूर्व तक पेंशन की प्रक्रिया पूरी तरह ऑफ लाइन ही थी और इस दौरान ग्रामीण इलाकों के आवेदन पंचायत समिति व शहरी इलाकों के आवेदन नगर पालिका अधीशाषी अधिकारी के यहां जमा होते थ। इसके बाद पूरे दस्तावेज जांचने पर ही पेंशन की स्वीकृति जारी होती थी, लेकिन दो साल पूर्व यह प्रक्रिया ऑन लाइन करने व 45 दिन समय की पाबंदी होने से गड़बडिय़ां बढ़ गई।
जिले में प्रतिमाह करीब 1 लाख 35 हजार बुजुर्ग, दिव्यांग व अन्य श्रेणी के पेंशनधारियों को पेंशन मिलती है। जिले में इन पेंशनधारियों को औसतन करीब 750 रुपए के हिसाब से करीब 10 करोड़ 12 लाख 50 हजार रुपए की पेंशन मिलती है।
जिलेभर में पेंशन गड़बड़झाले की जांच को लेकर प्रत्येक पंचायत समिति स्तर पर जांच कमेटी गठित की गई थी। ब्लॉक विकास अधिकारियों को 10 अक्टूबर तक जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। लालसोट से रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। अन्य पंचायत समिति क्षेत्रों में अपात्र पेंशनधारियों की घर घर जांच की जा रही है। दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा।
अविचल चतुर्वेदी,
जिला कलक्टर दौसा