इस योजना के लिए उत्तर पश्चिमी रेलवे ने स्टेशनों पर उत्पादकों की सूची भी जारी की हैं। इसके तहत एवन श्रेणी के जयपुर स्टेशन पर जयपुरी रजाइयां, ए श्रेणी के गांधीनगर स्टेशन पर नीली मिट्टी के आइटम, रेवाडी पर तांबे के बर्तन, घरेलू सामान, अलवर पर संगमरमर की मूर्तियां, बांदीकुई जंक्शन पर सैंडस्टोन आर्टिकल्स, बी श्रेणी के किशनगढ़ स्टेशन पर मार्बल की मूर्तियां व खिलौने, दौसा सैंडस्टोन आर्टिकल्स, डी श्रेणी के स्टेशन सांगानेर में सांगानेरी ङ्क्षप्रट आइटम, दुर्गापुरा में सांगानेरी ङ्क्षप्रट के शूट व कपड़े, ई श्रेणी के स्टेशन नरैना मेन मार्बल की मूर्तियां व खिलौने की स्टॉल लगाई जाएगी।
जयपुर स्टेशन से होगी शुरुआत
रेलवे ने वन स्टेशन वन प्रोडक्ट का पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर दिया हैं। सबसे पहले मंडल के सबसे बड़े स्टेशन जयपुर जंक्शन पर पायलट प्रोजेक्ट की शुरूआत की गई हैं। इसके तहत नाम मात्र के 500 रुपए किराया पर एक स्टॉल 15 दिनों के लिए उपलब्ध करवाई गई हैं। जबकि रेल सूत्रों की माने तो इस स्टॉल के निर्माण में रेलवे को करीब तीस हजार रुपए का खर्चा उठाना पड़़ रहा हैं। रेलवे इस मुहिम को साकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। रेल सूत्रों की माने तो बहुत जल्द अन्य स्टेशन पर भी जल्द इस योजना की शुरुआत की जा सकती हैं।
रेलवे ने वन स्टेशन वन प्रोडक्ट का पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर दिया हैं। सबसे पहले मंडल के सबसे बड़े स्टेशन जयपुर जंक्शन पर पायलट प्रोजेक्ट की शुरूआत की गई हैं। इसके तहत नाम मात्र के 500 रुपए किराया पर एक स्टॉल 15 दिनों के लिए उपलब्ध करवाई गई हैं। जबकि रेल सूत्रों की माने तो इस स्टॉल के निर्माण में रेलवे को करीब तीस हजार रुपए का खर्चा उठाना पड़़ रहा हैं। रेलवे इस मुहिम को साकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। रेल सूत्रों की माने तो बहुत जल्द अन्य स्टेशन पर भी जल्द इस योजना की शुरुआत की जा सकती हैं।
विश्व पटल पर निखरेगी सिकंदरा के पत्थर की नक्काशी....
पत्थरों पर नक्काशी के लिए सिकंदरा और आस पास के क्षेत्र सहित अन्य स्थानों पर सैंडस्टोन से बने नक्काशी को विश्व पटल पर ओर पहचान मिलेगी। इससे सीधा काश्तगार और हूनरमंदों को फायदा मिलेगा और दलालों पर लगाम कसी जा सकेगी। इसके साथ ही प्रदेश में विख्यात बसवा के मिट्टी के बर्तनों को भी जगह मिल सकेगी।
पत्थरों पर नक्काशी के लिए सिकंदरा और आस पास के क्षेत्र सहित अन्य स्थानों पर सैंडस्टोन से बने नक्काशी को विश्व पटल पर ओर पहचान मिलेगी। इससे सीधा काश्तगार और हूनरमंदों को फायदा मिलेगा और दलालों पर लगाम कसी जा सकेगी। इसके साथ ही प्रदेश में विख्यात बसवा के मिट्टी के बर्तनों को भी जगह मिल सकेगी।
जयपुर जंक्शन से इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया हैं। आगामी समय में अन्य स्टेशनों पर भी इस योजना का क्रियान्वयन किया जाएगा। काश्तगार व हूनरमंद के उत्पादों को पहचान मिलेगी। बल्कि सीधा लाभ भी मिलेगा। रेलवे के उच्चस्तर पर इसके टैंडऱ व डोक्योमेंट्री तैयार की जा रही हैं।
मुकेश सैनी, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक, उत्तर पश्चिमी रेलवे मंडल जयपुर