जिले में गांव की सरकार चुनने के लिए स्थानीय मतदाताओं के अलावा बाहर रहने वाले लोग भी पहुंचे। गांवों में प्रतिष्ठा का सवाल माने जाने वाले पंच-सरपंच के चुनाव कोरोना के साए के बीच जरूर हुए, लेकिन चुनावी उमंग देखते ही बन रही थी। मतदान बूथों पर सोशल डिस्टेंसिग के नियमों की धज्जियां उड़ी। प्रशासन एक बार फिर नियम-कानूनों को धरातल पर उतारने में सफल नहीं हो सका। मतदान केन्द्रों के बाहर तो मेला ही लगा रहा। बूथ के अंदर जरूर लोग मास्क लगाकर गए, लेकिन बाहर निकलते ही उतारते भी दिखे।
सुबह से ही लग गई कतारें
रामगढ़ पचवारा की 25 व सिकंदरा पंचायत समिति की 24 ग्राम पंचायतों में सुबह 7.30 बजे से मतदान शुरू होने के साथ ही मतदाताओं की कतारें लग गई। कड़ी सुरक्षा के बीच ग्राम पंचायतों में लोगों ने वोट डालना शुरू किया। सुबह के समय अधिकारियों व पुलिस जवानों की सक्रियता से कुछ देर कोरोना नियमों की पालना कराने की जद्दोजहद की गई, लेकिन धीरे-धीरे नियम व जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी ढीले पड़ गए। केन्द्र के अंदर बिना किसी सोशल डिस्टेंस के कतारें लगी रही। अधिकारी भी अनदेखी कर चलते बने। सरपंच के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन तथा पंच पद के लिए बैलेट पेपर से मतदान होने के कारण एक-एक वोटर को प्रक्रिया में समय लगा। मतदान केन्द्रों पर दिनभर गहमा-गहमी रही। वाहनों में भरकर ढाणियों से मतदाताओं को बूथ तक लाया गया।
महिलाओं में खासी रुचि
महिला में मतदान को जमकर उत्साह नजर आया। वाहनों में गीत गाती हुई मतदान केन्द्र तक महिलाएं पहुंची। लूगड़ी से मुंह ढककर केन्द्र पहुंची। घंटों कतार में लगकर लोकतंत्र का फर्ज निभाया। मतदान केन्द्र के बाहर झुण्ड में बातें करती महिलाओं का नजारा भी सभी जगह देखा गया। वहीं बच्चे भी चुनावी मेले की रौनक से अछूते नहीं रहे। मतदान केन्द्र के बाहर ही बच्चे भी जुटे रहे। केन्द्रों के बाहर अपने-अपने प्रत्याशी के पक्ष में वोट अपील करने के लिए भी दर्जनों लोग गांव के अलग-अलग रास्तों में जुटे रहे। एक-एक मतदाता से अंतिम क्षण तक वोट अपील की गई।