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आंखों में सहायता की उम्मीद लिए भटक रहे हैं मरीज

locationदौसाPublished: Nov 11, 2017 08:50:41 am

Submitted by:

gaurav khandelwal

निजी अस्पतालों में मरीजों की बढ़ रही भीड़
 

dausa hospital
दौसा. चिकित्सकों की हड़ताल के बाद अब न चिकित्सक झुक रहे हैं और नहीं ही सरकार। दोनों की में हो रही जोर आजमाइश का नुकसान आम मरीज को भुगतना पड़ रहा है। चिकित्सकों की हड़ताल से पूरे जिलें में मरीजों की मुसीबत बढ़ गई है। मरीज अस्पताल में आकर दर्द से कराह रहे हैं, उन्हे सम्भालने वाला कोई नहीं है। हालांकि जिला कलक्टर ने जिले के कई निजी अस्पतालों को मरीजों को सरकारी पर्ची पर दवा लिखने एवं परामर्श के आदेश दे दिए हंैं, लेकिन इससे भी मरीजों की समस्या का ज्यादा समाधान नहीं निकला है। ऐसे में मरीज मजबूर होकर निजी अस्पतालों में इलाज के लिए जा रहे हैं। उनको भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

जिला मुख्यालय के जिन निजी चिकित्सालयों को जिला कलक्टर ने सरकारी अस्पताल की पर्चियों पर दवा लिखने एवं परामर्श के आदेश दिए हैं उन मरीजों की सबसे बड़ी परेशानी तो यह है कि मरीज पहले सरकारी अस्पताल में पर्ची लेने जाएगा। उसके बाद वह निजी चिकित्सालय में जाएगा वहां पर घंटो तक कतार में खड़ा रहने के बाद उसका नम्बर आएगा और वहां दवा लिखवाने के बाद फिर वह सरकारी अस्पताल में आएग और वह फिर दवा लेगा। इस मुसीबत से मरीज की तबीयत और भी बिगड़ती जा रही है।

साहब कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है


लालसोट रोड पर एक निजी चिकित्सालय के सामने अपनी बहन को गोद में लेकर खड़े बालावास निवासी रामकेश मीना ने बताया कि उसकी बहन का सड़क दुघर्टना मे पांव फै्रक्चर हो गया था। जिला अस्पताल के एक चिकित्सक के पास इलाज चल रहा था। अब चिकित्सक नहीं है, इसलिए वह यहां लेकर आया है, लेकिन यहां हड्डी का चिकित्सक नहीं होने से कोई इलाज नहीं हो पा रहा है। इतने रुपए जेब में नहीं है जिनसे वह प्राइवेट अस्पताल में ले जाए।

किराया भाड़ा और लग गया और इलाज भी नहीं हुआ


जिला अस्पताल में सिकराय के गनीपुर से मरीज सुमन मीना को लेकर आए परिजनों ने बताया कि दो माह पहले पैर टूट गया था। ऑपरेशन भी हो गया था। पांव में फायदा नहीं होने के बाद शुक्रवार को उसको दिखाने के अस्पताल लाए हंै, लेकिन यहां तो कोई डॉक्टर मिला ही नहीं। जबकि वे किराए से कार लेकर यहां आए हैं।

अब यहां बैड ही खाली है


जिला अस्पताल की मात्र एवं शिशु कल्याण केन्द्र केन्द्र में संचालित नवजात गहन चिकित्सा ईकाई (एफबीएनसी) में नवजात बीमार शिशुओं के इलाज के लिए बैड नहीं मिल पाते थे, लेकिन अब अधिकांश बैड ही खाली पड़े हैं। इस ईकाई में 13 बैड स्वीकृत हैं, जिनमें से 10 चालू हैं। इन 10 बैडों में भी चार पर ही शिशु हैं। खास बात तो यह है कि अस्पताल में इस वक्त प्रसव ही नहीं हो रहे हैं। ऐसे में शिशुओं को भर्ती करने के लिए यहां पर चिकित्सक ही नहीं है। जो शिशु भर्ती है उनका इलाज भी नर्सिंगकर्मी ही कर रहे हैं। हालांकि पीएमओ बी.के .बजाज उनकी देखरेख करने के आते हैं।

यहां भी है मरीजों की भरमार


लालसोट रोड स्थित कृष्णा हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ. उमेश दत्त ने बताया कि वे 7 नवम्बर से उनके अस्पताल में आने वाले मरीजों के साथ ही जिला अस्पताल से आ रहे मरीजों का भी इलाज कर रहे हैं। इस दरम्यान उन्होंने अपने अस्पताल के 398 व सरकारी अस्पताल के 372 मरीजों को परामर्श व इलाज दिया है।
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