परमानंद शर्मा ने बताया कि वे 1990 व 1992 में कारसेवक के रूप में अयोध्या गए थे। उस समय वे विहिप के जिला मंत्री थे। 22 जनों के साथ दौसा से मथुरा तक ट्रेन से गए। इसके बाद बसों में सवार हो गए। 1990 में पुलिस जाने नहीं दे रही थी तथा गिरफ्तारियां हो रही थी। बस में जैसे ही पुलिस चढ़ी तो सिगरेट खरीदकर मुंह से लगा ली, जबकि धूम्रपान सेवन नहीं करते थे। पुलिस ने सिगरेट देखकर सोचा कि यह विहिप का कार्यकर्ता नहीं हो सकता और छोड़ दिया। 5-6 दिन में करीब 150 किमी पैदल चलकर वहां पहुंचे। रास्ते में गांव के लोगों ने राइफलें देकर कहा था कि गोलियों का जवाब गोलियों से देना। वे जब मौके पर पहुंचे तो गोलीबारी हो चुकी थी। मकानों में सैकड़ों गोलियों के निशान देखे। इसी तरह 1992 में भी अयोध्या पहुंचे। कृष्णावतार गुप्ता, राजेन्द्र जैन, ओमप्रकाश शर्मा, रामेश्वर पापड़दा सहित कई लोग दौसा से गए थे।
दौसा के प्रसिद्ध पंच महादेव मंदिर व पवित्र गेटोलाव धाम की मिट्टी अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए भेजी गई है। दौसा अरबन कॉपरेटिव बैंक के चेयरमैन मदनलाल शर्मा ने बताया कि नीलकंठ, सोमनाथ, बैजनाथ, सहजनाथ व गुप्तेश्वर महादेव मंदिर सहित गेटालाव से मिट्टी लाकर बड़े लिफाफे में डाक से श्रीराम मंदिर की नींव में डालने के लिए भेजी गई है।