उल्लेखनीय है कि सरकार ने मूंगफली की खरीदारी 4890 रुपए प्रति क्विंटल व बाजरा 1950 रुपए प्रति क्विंटल खरीदने की घोषणा कर रखी है। साथ ही मंूग व उड़द खरीदने के लिए भी घोषणा कर रखी है, लेकिन दौसा जिले में लालसोट में मूंगफली खरीदने के अलावा कहीं भी कोई भी जिंस समर्थन मूल्य पर खरीदना शुरू नहीं किया है।
खरीदारी हुई तो रखने की नहीं है व्यवस्था
लालसोट कृषि उपज मण्डी में मूंगफली की एक सप्ताह से खरीदारी शुरू हो गई। अब तक करीब 2 हजार बोरी मूंगफली समर्थन मूल्य पर खरीदी जा चुकी है, लेकिन यहां पर खरीदी गई मूंगफली को रखने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में मूंगफलियों की बोरियां खुले में ही पड़ी है। यदि बरसात हो जाए लाखों रुपए की मूंगफलियां खराब हो सकती है। जब कि कांटों पर तुलाई होने के बाद मंूगफलियों को रखने में दिक्कत आ रही है। जबकि इनको तुलाई के बाद सीधा वेयरहाउस भेजा जाता है। लेकिन सरकार ने अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की है।
तो कराओ ऑनलाइन
दौसा क्रय विक्रय सहकारी समिति से मिली जानकारी के अनुसार मूंगफली खरीद की प्रक्रिया तो शुरू कर दी है, लेकिन यहां पर अभी तक एक भी किसान रजिस्ट्रेशन कराने नहीं आया। जानकारी के अनुसार जो भी किसान को मूंगफली समर्थन मूल्य पर बेचना चाहे उसको ऑनलाइन रजिस्टे्रेशन कराना होगा। उस किसान को आधार कार्ड, भामाशाह कार्ड, बैंक पासबुक्स की फोटो प्रति, गिरदावरी के दस्तावेज देने होंगे। उसके बाद फसल का नमूना लाना होगा। नमूना पास होने के बाद ही जिंस खरीदी जाएगी।
बाजरा- मूंगफली की होती है सर्वाधिक पैदावार
जिले में खरीफ की फसलों में बाजरा व मूंगफली की ही सर्वाधिक पैदावार होती है। यहां के किसानों की खरीफ की रीढ़ इन दो ही फसलों पर टिकी हुई है। यदि इनके भी भाव नहीं मिले तो किसानों मेें मायूसी छाना स्वाभाविक है। कटाई के वक्त बारिश होने से बाजरा बाली में ही काला पड़ गया। ऐसे में बाजार भाव भी बहुत ही कम लगा।
जिले में खरीफ की फसलों में बाजरा व मूंगफली की ही सर्वाधिक पैदावार होती है। यहां के किसानों की खरीफ की रीढ़ इन दो ही फसलों पर टिकी हुई है। यदि इनके भी भाव नहीं मिले तो किसानों मेें मायूसी छाना स्वाभाविक है। कटाई के वक्त बारिश होने से बाजरा बाली में ही काला पड़ गया। ऐसे में बाजार भाव भी बहुत ही कम लगा।
सरकार जिस बाजरे को 1950 रुपए प्रति क्विंटल खरीदने की घोषणा कर रही थी उसको किसानों को 1100 से 14 सौ रुपए प्रति क्विंटल ही बेचने को मजबूर होना पड़ा। यही हाल मूंगफली का है सरकार ने 4890 रुपए प्रति क्विंटल भाव तय किया उसी को किसानों को 33 सौ से 4400 रुपए प्रति क्विंटल बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है।
रजिस्ट्रेशन ही नहीं हुए
करीब 15 अक्टूबर को ही उनके पास मूंगफली खरीद के लिए कांटे लगाने के आदेश आ गए थे। बारदाना भी आ गया। लालसोट में तो करीब दो हजार बोरी मूंगफली खरीदी भी जा चुकी है। लेकिन उनको रखने के लिए वेयरहाउस की व्यवस्था नहीं हो रही है।
बृजेश सेहरा, प्रबंधक क्रय-विक्रय सहकारी समिति दौसा।