पोरटर दर भी स्टेशन से हुई गायब
रेलवे स्टेशन पर पहले यात्रियों का सामान ढोहने के लिए वजन के हिसाब से पोरटर दर भी चस्पा थी, लेकिन कुलियों की घटती संख्या के साथ ही पोरटर दर भी स्टेशन से गायब हो गई। ऐसे में यदि कोई यात्री कुली से सामान ले जाना भी चाहे तो दर को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रहती है। क्योंकि लम्बा समय हो
जाने के कारण कुलियों को जारी हुई नई दर की जानकारी तक नहीं है। वहीं कुलियों के पास सामान ढोहने की ट्रॉलियां भी नहीं हैं। ऐसे में कई बार रोजगार मिल भी जाए तो गार्ड-ड्राइवरों का सामान ढोहने वाली ट्रॉलियां लेकर काम चलाना पड़ता है।
रेलवे स्टेशन पर पहले यात्रियों का सामान ढोहने के लिए वजन के हिसाब से पोरटर दर भी चस्पा थी, लेकिन कुलियों की घटती संख्या के साथ ही पोरटर दर भी स्टेशन से गायब हो गई। ऐसे में यदि कोई यात्री कुली से सामान ले जाना भी चाहे तो दर को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रहती है। क्योंकि लम्बा समय हो
जाने के कारण कुलियों को जारी हुई नई दर की जानकारी तक नहीं है। वहीं कुलियों के पास सामान ढोहने की ट्रॉलियां भी नहीं हैं। ऐसे में कई बार रोजगार मिल भी जाए तो गार्ड-ड्राइवरों का सामान ढोहने वाली ट्रॉलियां लेकर काम चलाना पड़ता है।
पार्सल कार्यालय खुले तो मिले राहत
स्टेशन पर क्लॉक व पार्सल कार्यालय नहीं होने से भी कुलियों के रोजगार पर संकट छाया है। बांदीकुई जंक्शन ए श्रेणी का स्टेशन है। यहां से मेहंदीपुर बालाजी एवं पर्यटन स्थल आभानेरी भ्रमण के लिए यात्री आवाजाही करते हैं। ऐसे में यात्रियों को सामान रखने की सुविधा नहीं मिलती है। ऐसे में यात्रियों को स्वयं के स्तर पर ही सामान को लटकाकर साथ लेकर जाना पड़ता है। यहां यात्रीभार, आय एवं ट्रेनों के ठहराव की संख्या को देखते हुए पार्सल कार्यालय संचालित होना चाहिए।