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ब्रिटिशकालीन जंक्शन पर रोजी-रोटी को मोहताज कुली

locationदौसाPublished: Dec 07, 2019 01:05:48 pm

Submitted by:

Rajendra Jain

Rosie-bread is a delightful porter at British Junction… पार्सल व लॉकर सुविधा बंद होने से बढ़ी परेशानी, रेलवे स्टेशन पर अब बचे हंै मात्र चार कुली

 रोजी-रोटी को मोहताज कुली

रोजी-रोटी को मोहताज कुली

बांदीकुई. भले ही ब्रिटिशकालीन बांदीकुई रेलवे जंक्शन पर ट्रेनों की संख्या में इजाफा होने के साथ ही यात्री भार में भी बढ़ोतरी हुई हो, लेकिन यहां कार्यरत कुली दो जून की रोटी के लिए मोहताज होते जा रहे हैं। सुबह से शाम तक रोजगार की इंतजार में बैठकर निराश लौट जाते हैं। पर्याप्त आय नहीं होने से कुलियों को स्टेशन से पलायन कर अन्यत्र काम ढूंढकऱ घर का पालन पोषण करने को मजबूर होना पड़ रहा है, लेकिन रेल प्रशासन का इन कुलियों की सुध लिए जाने की ओर कोई ध्यान नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक 1874 में पहली बार बांदीकुई-आगरा नेरोगेज रेलवे लाइन पर ट्रेन संचालित हुई थी। तब करीब दो दर्जन कुली काम पर लगाए गए थे। इसके बाद 1994 मे दिल्ली-अहमदाबाद ब्रॉड गेज एवं वर्ष 2004 में बांदीकुई-भरतपुर ब्रॉडगेज लाइन बनाई गई। मीटर गेज में तब्दील होने के साथ ही ट्रेनों की रफ्तार व संख्या में भी बढ़ोतरी होती चली गई, लेकिन काम नहीं मिलने स कुलियों की संख्या घटती चली गई। 1996 में मात्र 14 कुली ही कार्यरत थे। अब सभी दिशाओं में जाने वाली ट्रेनों की संख्या बढकऱ करीब सौ तक पहुंच गई है।
इसमें साप्ताहिक व त्रिमासिक ट्रेनें भी संचालित हो रही हैं, लेकिन कुलियों को कुछ आय होने लगी कि वर्ष 2008 में स्टेशन पर संचालित पार्सल कार्यालय व क्लॉक रूम जयपुर शिफ्ट हो गया। ऐसे में कुली पूरी तरह बेरोजगार हो गए। क्योंकि पार्सल कार्यालय से ही कुलियों को रोजगार मिलता था। इसके कुछ दिन बाद तक तो कुली सुबह आकर शाम तक स्टेशन पर रोजगार की इंतजार में ठाले बैठकर लौट जाते थे, लेकिन बाद में परिवार के आर्थिक संकट से जूझने पर कुछ कुली तो अन्यत्र स्टशन पर शिफ्ट हो गए। जबकि कुछ की मौत हो जाने के बाद अब मात्र 4 कुली शेष रहे हैं। जो कि दिनभर रेलवे स्टेशन पर रोजगार के लिए भटकते दिखाई देते हैं और शाम को वापस निराश होकर लौट जाते हैं।
पोरटर दर भी स्टेशन से हुई गायब
रेलवे स्टेशन पर पहले यात्रियों का सामान ढोहने के लिए वजन के हिसाब से पोरटर दर भी चस्पा थी, लेकिन कुलियों की घटती संख्या के साथ ही पोरटर दर भी स्टेशन से गायब हो गई। ऐसे में यदि कोई यात्री कुली से सामान ले जाना भी चाहे तो दर को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रहती है। क्योंकि लम्बा समय हो
जाने के कारण कुलियों को जारी हुई नई दर की जानकारी तक नहीं है। वहीं कुलियों के पास सामान ढोहने की ट्रॉलियां भी नहीं हैं। ऐसे में कई बार रोजगार मिल भी जाए तो गार्ड-ड्राइवरों का सामान ढोहने वाली ट्रॉलियां लेकर काम चलाना पड़ता है।

पार्सल कार्यालय खुले तो मिले राहत
स्टेशन पर क्लॉक व पार्सल कार्यालय नहीं होने से भी कुलियों के रोजगार पर संकट छाया है। बांदीकुई जंक्शन ए श्रेणी का स्टेशन है। यहां से मेहंदीपुर बालाजी एवं पर्यटन स्थल आभानेरी भ्रमण के लिए यात्री आवाजाही करते हैं। ऐसे में यात्रियों को सामान रखने की सुविधा नहीं मिलती है। ऐसे में यात्रियों को स्वयं के स्तर पर ही सामान को लटकाकर साथ लेकर जाना पड़ता है। यहां यात्रीभार, आय एवं ट्रेनों के ठहराव की संख्या को देखते हुए पार्सल कार्यालय संचालित होना चाहिए।
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