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प्रशासन की बेरूखी स्कूल छात्रों पर नहीं पड़ जाए भारी…

locationदौसाPublished: Jan 13, 2020 11:53:16 am

Submitted by:

Rajendra Jain

Rude school of administration should not fall on the students…- जर्जर भवन में बैठाकर छात्रों को करानी पड़ती है पढ़ाई, -राउप्रावि जागीर बांदीकुई स्कूल का है मामला

प्रशासन की बेरूखी स्कूल छात्रों पर नहीं पड़ जाए भारी...

प्रशासन की बेरूखी स्कूल छात्रों पर नहीं पड़ जाए भारी…

बांदीकुई. कहीं दीवारों में दरारें आ रही हैं तो कहीं छत से चूना गिरता है। विद्यालय भवन भी मात्र 400 वर्ग गज में बना हुआ है। इस भवन का निर्माण हुए भी छह दशक से अधि समय बीत गया। जगह की कमी भी अखर रही है। विद्यालय प्रशासन ने भी शिक्षा विभाग को भवन के असुरक्षित होने के बारे में भी अवगत करा दिया। प्रशासन भी मामले से जानकार होते हुए भी अनजान बनकर मूक दर्शक बना हुआ है। ऐसे में शिक्षक व छात्रों को भय के साये में पढ़ाई करने को मजबूर होना पड़ रहा है। यह हाल है राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जागीर बांदीकुई का।
जानकारी के अनुसार यह विद्यालय वर्ष 1955 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय के रूप में शुरू हुआ था। उस समय यह विद्यालय शहर का प्रमुख विद्यालय था। इसके बाद वर्ष 1975 में यह विद्यालय प्राथमिक से उच्च प्राथमिक स्तर पर क्रमोन्नत हो गया। विद्यालय में मात्र पांच कमरे हैं। इनमें से एक कक्ष आंगनबाड़ी, एक स्टोर एवं एक कक्ष स्टॉफ के काम आ रहा है। मात्र दो कक्ष व बरामदों में बैठाकर छात्रों को पढ़ाई करानी पड़ रही है। भवन का निर्माण 1955 में हुआ। करीब 65 साल बीत जाने के बाद भी विद्यालय में मरम्मत के नाम पर एक रुपया नही लगा। ऐसे में विद्यालय भवन में दरारे आ गई हैं। तो कहीं चूना गिरता है। बारिश में तो हालात ये हो जाते हैं कि विद्यालय के छात्रों की कई दिनों तक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए छुटटी तक करनी पड़ती है। विद्यालय में जगह की कमी अखरने से नामांकन भी घटता जा रहा है। अब इस विद्यालय में मात्र 52 छात्र संख्या है। खेल मैदान तक नहीं है। इससे विद्यालय में खेल गतिविधियां भी पूरी तरह ठप पड़ी हुई हैं। छात्रों का कहना है कि जब जगह ही नहीं है तो कहां खेलें। प्रार्थना भी कुछ छात्रों को बरामदे में तो कुछ छात्रों को चौक व कमरों में बैठाकर करानी पड़ती है। खास बात यह है कि इस विद्यालय में मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी से लेकर जिला स्तरीय अधिकारी भी निरीक्षण कर चुके हैं, लेकिन किसी की ओर से भी नवीन भवन निर्माण के लिए बजट आवंटन कराए जान की कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
रसाईघर के निर्माण के लिए तक नहीं है जगह
विद्यालय में रसोईघर के निर्माण के लिए तक जगह नहीं है। हालांकि विद्यालय स्तर पर एक कोने में ही रसोईघर बना रखी है। जहां पोषाहार तैयार कर बच्चों को वितरित किया जाता है। इससे पोषाहार पकाने वाली कुक कम हैल्पर को भी खासी परेशानी होती है। शौचालय भी जर्जर हो चुके हैं। स्वतंत्रता दिवस व अन्य सांस्कृतिक आयोजन करान के लिए भी इधर-उधर मुंह ताकना पड़ता है। जबकि सरकार विद्यालयों में सुविधाओं में इजाफा करने व नामाकंन वृद्धि व शैक्षिक स्तर पर जोर दे रही हैं। जबकि कुछ विद्यालयों की स्थिति कुछ अलग ही बयां कर रही है।
टैंकर मंगवाकर बुझानी पड़ती है प्यास
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जागीर बांदीकुई में पानी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सीमेंट की टंकी का निर्माण करवा रखा है। जहां विद्यालय प्रशासन प्रत्येक सात दिवस के अंतराल में टेंकर डलवाते हैं। इस पानी को ही छात्र पीकर प्यास बुझाते हैं। कुछ छात्र तो घर से ही ताजा पानी तक बोतलों में लेकर आते हैं। इन मासूमों की समस्याओं के समाधान की ओर किसी का भी ध्यान नहीं है।
चार माह पहले करा दिया अवगत
विद्यालय के जर्जर होने के बारे में गत 19 अगस्त 2019 को मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को अवगत करा दिया गया था। इस भवन को पीडब्ल्यूडी द्वारा कण्डम घोषित कर प्रमाण पत्र देना चाहिए। इससे नए भवन निर्माण के लिए विद्यालय विकास समिति में प्रस्ताव लेकर भेजा जा सके। इससे नया भवन का निर्माण होने से छात्रों की सुविधाओं में इजाफा हो।-छोटेलाल सैनी, कार्यवाहक प्रधानाध्यापक
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