जमकर हुआ कारोबार
जिले में डेढ़ वर्ष से कोरोना वायरस सक्रिय हुआ है। कहने को तो चिकित्सा विभाग आमजन तक मास्क, सैनेटाइजर व अन्य सामग्री पहुंचाने का दावा करता है, लेकिन हकीकत कोसों दूर हैं। गत वर्ष तो कई भामाशाह व सामाजिक संगठनों ने यह सामग्री आमजन तक पहुंचाई, लेकिन इस वर्ष ये भी धीमे पड़ गए। बाजार में ठेलों से लेकर हर दुकान पर दुकानदारों ने मास्क बेचने का भी कारोबार संचालित कर लिया। सरकारी स्तर पर मास्क, सैनेटाइजर एवं सैल्यून नहीं मिलने से लोगों ने अपनी जेब से ही दुकानों से खरीद कर काम लेना शुरू कर दिया था।
जिले में डेढ़ वर्ष से कोरोना वायरस सक्रिय हुआ है। कहने को तो चिकित्सा विभाग आमजन तक मास्क, सैनेटाइजर व अन्य सामग्री पहुंचाने का दावा करता है, लेकिन हकीकत कोसों दूर हैं। गत वर्ष तो कई भामाशाह व सामाजिक संगठनों ने यह सामग्री आमजन तक पहुंचाई, लेकिन इस वर्ष ये भी धीमे पड़ गए। बाजार में ठेलों से लेकर हर दुकान पर दुकानदारों ने मास्क बेचने का भी कारोबार संचालित कर लिया। सरकारी स्तर पर मास्क, सैनेटाइजर एवं सैल्यून नहीं मिलने से लोगों ने अपनी जेब से ही दुकानों से खरीद कर काम लेना शुरू कर दिया था।
स्टाफ के लिए ही आए थे
कोरोना काल में सरकार ने चिकित्सा विभाग को मास्क, सैनेटाइजर एवं अन्य सामग्री केवल चिकित्सा विभाग के लिए ही भेजी थी। आमजन को मुहैया कराने का कोई प्रावधान नहीं था।
-डॉ. मनीष चौधरी, सीएमएचओ दौसा
कोरोना काल में सरकार ने चिकित्सा विभाग को मास्क, सैनेटाइजर एवं अन्य सामग्री केवल चिकित्सा विभाग के लिए ही भेजी थी। आमजन को मुहैया कराने का कोई प्रावधान नहीं था।
-डॉ. मनीष चौधरी, सीएमएचओ दौसा
भामाशाहों ने कम किया सहयोग
पिछले वर्ष तो जिले में जगह-जगह भामाशाहों ने मास्क व सैनेटाइजरों को खूब वितरण किया था, लेकिन इस वर्ष भामाशाहों की कमी थी। इसलिए लोगों को बाजार से यह सामग्री खरीद कर काम लेनी पड़ी।
– डॉ. सुभाष बिलौनिया, डिप्टी सीएमएचओ दौसा
पिछले वर्ष तो जिले में जगह-जगह भामाशाहों ने मास्क व सैनेटाइजरों को खूब वितरण किया था, लेकिन इस वर्ष भामाशाहों की कमी थी। इसलिए लोगों को बाजार से यह सामग्री खरीद कर काम लेनी पड़ी।
– डॉ. सुभाष बिलौनिया, डिप्टी सीएमएचओ दौसा