इस मामले में निर्माण कार्य पर स्थगन आदेश एवं दोनों पक्षों को न्यायालय की ओर से पाबंद किया हुआ था, लेकिन अपरान्ह 3 बजे वह, उसके पिता कजोड़मल, भाई हरकेश, कोनिका, भाभी लोहड़ी, मां लक्ष्मी देवी एवं पत्नी गुलाब खेत पर गेहूं के फसल के पूले एकत्र कर रहे थे कि पड़ौसी नानगराम, कैलाश, बाबूलाल, रामखिलाड़ी, शम्भूदयाल व उनका जंवाई रामफूल मीणा बसेड़ी व उनकी पत्नी ट्रैक्टर लेकर आए और निर्माण शुरू करते हुए पट्टियां रखना शुरू कर दिया।
इस पर उसके पिता कजोड़मल ने मना किया तो सभी ने एकराय होकर लाठी, डण्डे एवं कुल्हाड़ी से पिता पर हमला कर दिया। उन्हें बचाने आए अन्य परिजनों के साथ भी मारपीट कर दी। इस पर पिता कजोड़मल व कोनिका गंभीर रूप से घायल होने पर चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। जहां दौसा से कजोड़मल को जयपुर रैफर कर दिया, लेकिन उपचार के दौरान कजोड़मल की मृत्यु हो गई। इस पर पुलिस ने अनुसंधान कर 10 लोगों के विरुद्ध आरोप पत्र पेश किया।
पत्रावली सैशन कोर्ट द्वारा सुनवाई योग्य होने के कारण एडीजे कोर्ट को प्राप्त हुई। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय शंकरलाल मारू ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आरोपी नानगराम, कैलाश, बाबूलाल, रामखिलाड़ी, शिम्भूदयाल व रामफूल को हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 24 गवाह व 38 दस्तावेज पेश किए गए। जबकि भौंती देवी, मूली देवी, कमली, कैलाश, रामनरी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया है।