Sub-houses do not have facilities for vehicles, security risk in carry… सूत्रों के मुताबिक उपकारागृह कौलाना में 100 कैदियों की क्षमता है। वर्तमान में करीब 60 कैदी हैं। यह उपकारागृह बांदीकुई से करीब 6 किलोमीटर दूर अलवर-सिकंदरा मेगा हाइवे पर स्थित है। यहां से प्रतिदिन कैदियों को पेशी पर बांदीकुई लाना पड़ता है। यहां रोडवेज बसों का कागजों में ठहराव तो है, लेकिन मौके पर कभी कभार ही रुकती हैं। ऐसे में चालानी गार्डों को कैदियों को बांदीकुई न्यायालय में पेशी पर लाने या फिर चिकित्सालय में उपचार कराने लाने पर निजी वाहनों में बैठी सवारियों के साथ ही लाना पड़ता है। इससे कैदियों की सुरक्षा को लेकर खतरा बना रहता है। इसमें कई बार तो जगह नहीं मिलने पर कैदियों को तो निजी वाहनों में बैठा दिया जाता है और चालानी गार्डो को लटक कर आवाजाही करनी पड़ती है। कई बार तो कैदियों को लोडिंग वाहनों में लाना पड़ता है।
चालानी गार्ड नहीं मिले तो लेते हैं अगली तारीख
उपकारागृह कौलाना में 7 जवान कार्यरत हैं। जहां से बांदीकुई तो विचाराधीन कैदियों को न्यायालय में पेश कर दिया जाता है, लेकिन सिकराय कैदियों को पेश करना होता है तो पुलिस लाइन से जाप्ता मांगना पड़ता है। जहां से नियत समय पर जाप्ता नहीं मिलता है। ऐसे में वारंट भेजकर अगली तारीख ले ली जाती है।
उपकारागृह से प्रतिदिन 3 से 4 कैदियों को सिकराय न्यायालय में पेश करना होता है। ऐसे में चालानी गार्ड के अभाव में तारीख लेने से ट्रायल में भी देरी होती है। कई बार राज्य के अन्य जिलों सहित हरियाणा, दिल्ली, यूपी तक जहां से भी बंदियों के वारंट आते हैं। वहां भी पेशी पर ले जाना पड़ता है।
दो घटनाएं हो चुकी
उपकारागृह से कैदियों के भागने व बस से कूदकर भागने की भी घटनाएं हो चुकी हैं। इसमें 27 अप्रेल 2018 को ट्रांसफॉर्मर चोरी का आरोपी इरसाद व शाबिर निवासी नुहू मेवात जेल की दीवार कूदकर भाग चुके हैं। इसके बाद 16 अक्टूबर 2019 को जयपुर से मनोचिकित्सक को कैदियों को दिखाकर उपकारागृह कौलाना ले जाते समय रोडवेज बस से स्मैक के मामले में कैदी फतेहसिंह ने भी कूदकर भागने का प्रयास किया, लेकिन इनके बाद भी उपकारागृह सबक नहीं ले पा रहा है।
सद्दाम हुसैन, उपकारागृह प्रभारी कौलाना(ग्रामीण)