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सख्ती बढ़ी तो घर आई नन्ही परी, रंग लाई बेटी बचाने की मुहिम

locationदौसाPublished: Dec 01, 2017 09:02:01 am

Submitted by:

gaurav khandelwal

2011 में 865 थी छह वर्ष तक की बालिकाओं की संख्या, अब 935 बालिकाएं जन्म ले रही एक हजार बालकों पर

save girl child
मनीष शर्मा
दौसा. महिला एवं पुरुष के लिंगानुपात में अन्तर को पाटने के लिए कन्या भू्रण हत्या रोकने की मुहिम अब रंग लाने लगी है। चिकित्सा विभाग की प्रभावी कार्रवाई से कुछ हद तक कन्या भ्रूण हत्या पर भी रोक लगी है। इससे घरों में नन्ही परियों की किलकारियों में बढ़ोतरी होने लगी है।

सूत्रों के अनुसार वर्ष 2001 के मुकाबले 2011 में प्रदेश में सबसे ज्यादा गिरावट के साथ दौसा जिले में एक हजार बालकों के मुकाबले छह वर्ष तक की बालिकाओं की संख्या मात्र 865 ही रह गई थी। जबकि प्रदेश में यह संख्या 888 थी। ऐसे में चिकित्सा विभाग ने भ्रूण ***** जांच करने वालों की धरपकड़ के लिए मुखबिर योजना में प्रोत्साहन राशि बढ़ाकर ढाई लाख रुपए कर दी, वहीं सोनोग्राफी मशीनों की निगरानी के लिए एक्टिव टे्रकर लगाए गए।

इससे अब तक 95 सफल डिकॉय ऑपरेशन कर भ्रूण जांच में दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई।इसमें 60 कार्रवाई राज्य में एवं 25 कार्रवाई अन्य प्रदेशों में की गई है। इनमें से वर्ष 2016 से लेकर अब तक 65 डिकॉय ऑपरेशन प्रोत्साहन राशि बढ़ाने के बाद किए गए हंै। इसमें सहयोग देने के लिए 57 गर्भवती महिलाओं सहित कुल 188 लोगो को प्रोत्साहन राशि के रूप में 48 लाख रुपए में दिए जा चुके हैं। इसका नतीजा यह निकला कि वर्ष 2016-17 में जिले में एक हजार बालकों पर 935 बालिकाओं ने जन्म लिया है।
प्रत्येक माह बदलती बालिका जन्म की स्थिति

दौसा जिले में वर्ष 2017 में मार्च से अक्टूबर माह तक 10284 बालकों के मुकाबले 9525 बालिकाओं की किलकारी गूंजी है। इसमें प्रति हजार पर सबसे कम मई माह में 880 एवं जून में 980 बालिकाओं ने जन्म लिया है। प्रत्येक माह में यह अन्तर थोड़ा कम-ज्यादा होता रहता है। ऐसे में इस वर्ष अक्टूबर तक औसतन 927 बालिकाओं का जन्म हुआ है। यह टे्रड जारी रहा तो वर्ष 2021 की जनगणना के समय प्रदेश में छह वर्ष तक की बालिकाओं की संख्या 940 रहने का अनुमान है।

देश में एकमात्र पीसीपीएनडीटी थाना
देश का पहला एवं एकमात्र पीसीपीएनडीटी ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन थाना जयपुर कमिश्नरेट में स्थित है। ऐसे में चिकित्सा विभाग की पीसीपीएनडीटी टीम को कार्रवाई के दौरान पुलिस जाप्ता मिलने में आसानी रहती है। इसी कारण टीम प्रदेश से बाहर भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने में सफल रही है।
ऐसे होता है डिकॉय ऑपरेशन
चिकित्सा विभाग की पीसीपीएनडीटी सेल की ओर से भ्रूण जांच की मुखबिर की सूचना का सत्यापन कर किसी गर्भवती महिला को भ्रूण जांच कराने के लिए तैयार किया जाता है। इसके बाद जांच कराने वाले दलाल से सम्पर्क कर उसके बताए स्थान पर बोगस ग्राहक के रूप में गर्भवती महिला एवं उसके सहयोगी को पहुंचाया जाता है। इस दौरान विभाग की टीम भी मय पुलिस जाप्ते के उन पर नजर रखती है।
दलाल द्वारा भ्रूण परीक्षण कराते ही महिला की ओर से टीम को इशारा दे दिया जाता है। ऐसे में टीम जांच में शामिल लोगों को दबोचकर गिरफ्तार कर लेती है। किसी भी खतरे के मद्देनजर महिला एवं टीम के साथी मोबाइल पर जीपीएस से जुड़े रहते है। इससे इनकी लोकेशन मिलती रहती है। सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए प्रत्येक डिकॉय के समय एक व्हाट्सएप गु्रप भी बनाया जाता है।
भ्रूण जांच करने वालों में खौफ


अब भ्रूण की जांच करने वालों में भी भय व्याप्त है। इसका अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गत 26 नवम्बर 2017 को प्रदेश पीसीपीएनडीटी की टीम आगरा में भ्रूण की जांच की सूचना पर कार्रवाई करने के लिए पहुंची, तो दलाल बोगस ग्राहक बनी महिला को सुबह से शाम तक परीक्षण के लिए इधर से उधर घुमाता रहा। बाद में शक होने पर महिला को वापिस छोड़कर चला गया। इससे पहले 19 नवम्बर को भी दलाल ने बुलाने के बाद भी परीक्षण नहीं कराया।
करते हैं शीघ्र कार्रवाई
भ्रण जांच की किसी भी सूचना पर तुरन्त कार्रवाई की जाती है। इसमें शामिल लोगों को गिरफ्तार कर न्यायालय में अभियोजन दर्ज कराया जाता है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे है।
मुनिन्दर शर्मा, जिला समन्वयक, पीसीपीएनडीटी सैल, दौसा
जिले में बालिकाओं के जन्म की स्थिति
वर्ष बालिका जन्म
2014-15 930
2015-16 919
2016-17 935
2017 927


मार्च से अक्टूबर माह तक प्रदेश में दो दशक में घटी बालिकाओं की संख्या
वर्ष छह वर्ष तक की बालिकाएं
1991 916
2001 909
2011 888
फैक्ट फाइल
कुल डिकॉय ऑपरेशन 95
अन्य राज्यों में कार्रवाइ 25
प्रदेश में कार्रवाई 60
मुखबिर योजना की राशि 2.50 लाख
योजना में लाभान्वित 188
दी गई प्रोत्साहन राशि 48 लाख

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