उल्लेखनीय है कि श्यालावास जेल के लिए तत्कालीन जिला कलक्टर आरएस जाखड़ ने फरवरी 2012 में चरागाह भूमि में से 41.53 हैक्टेयर भूमि आवंटित की थी। तब इस भवन के लिए 31 करोड़ 12 रुपए की स्वीकृति आई थी।बाद में दूसरे फेज में 9 करोड़ 35 लाख रुपए की और स्वीकृति दी गई।
जिले का सबसे बड़ा भवन
श्यालावास जेल jail भवन करीब 41.53 हैक्टेयर( करीब 164 बीघा) भूमि में बना हुआ है। जिलेभर में इतना विशाल भवन कहीं पर भी नहीं है। इसमें एक हजार कैदियों को रखने की क्षमता के बैरिक बने हुए हैं। इसके अलावा जेल स्टाफ के लिए करीब एक दर्जन आवास भी बने हैं। पानी के लिए अलग से ऊंची बड़ी सीमेंटेड टंकी बनी हुई है। भवन के चारों कोनों पर चार वॉच टावर बनाए गए हैं। जेलभवन में ही थियेटर भी है। अस्पताल भी बनाया गया है। अभी कई हैक्टेयर भूमि खाली पड़ी है।
परिंदा भी पर नहीं मार सकता
यदि सुरक्षा के लिहाज से देखा जाए तो श्यालावास जेल भवन में परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। जेल के चारों ओर 25-25 फीट ऊंची विशाल दीवार है और उस पर भी तारबंदी है। तारों में करंट छोड़ा जाता है। मुख्य दरवाजे के अलावा इसमें कई दरवाजे हैं, जिन पर दर्जनों ताले लगे हुए हैं। जेल प्रहरियों की टीम चौबीस घंटे पहरा देती है।
दौसा से जेल jail तक पहुंचने का मार्ग है खराब
भले ही जिला मुख्यालय से जेलभवन की दूरी महज 15 किलोमीटर है, लेकिन यहां तक का सड़क मार्ग क्षतिग्रस्त है। दौसा से लालसोट रोड होते हुए आलूदा होकर जेल भवन तक पहुंचने का मार्ग है। वहीं दूसरा मार्ग जिला अस्पताल की बगल में होकर जाने वाले रलावता रोड से जाता है। दोनों ही सड़कें जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो रही है।