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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से फिर सुर्खियों में आया सभापति का पद

locationदौसाPublished: Oct 31, 2018 09:24:29 pm

Submitted by:

Mahesh Jain

दौसा नगर परिषद चेयरमैन पद का चल रहा था विवाद, राजकुमार जायसवाल को मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से फिर सुर्खियों में आया सभापति का पद

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से फिर सुर्खियों में आया सभापति का पद

दौसा. दौसा नगर परिषद सभापति पद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के बुधवार को आए बड़े फैसले से मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया। निर्णय से भाजपा के राजकुमार जायसवाल को राहत मिली, वहीं मामला दिनभर लोगों में चर्चा का विषय बना रहा। फैसले के बाद जायसवाल सभापति की कुर्सी पर फिर से काबिज हो सकेंगे।

मुरली मनोहर बनाम राज्य सरकार व अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार मुरली मनोहर की ओर से प्रस्तुत की गई स्पेशल लीव पिटीशन निरस्त की गई। साथ ही प्रस्तुत सभी प्रार्थना पत्र भी निरस्त कर दिए गए। ऐसे में राजस्थान उच्च न्यायालय का निर्णय ही लागू रहेगा।

गौरतलब है कि भाजपा के राजकुमार जायसवाल के खिलाफ गत दिसम्बर में जिला कलक्टर को अविश्वास प्रस्ताव सौंपा गया। 3 जनवरी को अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ था। 30 मत प्रस्ताव के पक्ष में आए थे, जिनमें भाजपा, कांग्रेस व निर्दलीय सभी पार्षद शामिल थे।

गत 14 मार्च को कांग्रेस के पार्षद मुरलीमनोहर शर्मा सर्वदलीय पार्षदों के समर्थन से निर्विरोध सभापति चुने गए। 17 मई को राजस्थान हाइकोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव को अवैध मानते हुए रद्द कर दिया था। साथ ही सांसद और विधायक को मत देने का अधिकार माना था। इसके बाद मुरली मनोहर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर स्टे ले लिया। तब से मुरली मनोहर सभापति के पद को संभाल रहे थे। अब सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल लीव पिटीशन निरस्त कर दी है।

पहले पर्ची से चली गई थी सीट और अब…
तीन साल पहले 21 अगस्त 2015 को हुए सभापति के चुनाव में भाजपा के राजकुमार जायसवाल व कांग्रेस के मुरलीमनोहर शर्मा को 20-20 बराबर मत मिले थे। तब पर्ची से हुए फैसले में शर्मा की किस्मत ने साथ नहीं दिया था।

वहीं इस वर्ष सभी दलों के 40 में से 30 पार्षद ने एकराय कर भाजपा के सभापति राजकुमार जायसवाल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कराया। उपचुनाव की घोषणा के बाद अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले सभी 30 पार्षदों में से आधा दर्जन दावेदार सामने आए। सभी ने एकराय बनाने के लिए दावेदारों के नाम पर्ची निकाली तो मुरलीमनोहर की किस्मत खुल गई। ढाई साल बाद मुरली मनोहर को सभापति बनने का मौका मिला। इसके बाद न्यायिक लड़ाई चली और सुप्रीम कोर्ट से यह फैसला आया।


समर्थकों ने चलाए पटाखे
जायसवाल के पक्ष में न्यायालय के निर्णय की खबर सुनने के बाद से उनके समर्थकों ने कई जगह जश्न मनाया। पटाखे चलाकर मिठाई बांटी गई। वहीं भाजपा व कांग्रेस खेमे में भी हलचल मच गई।
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