दौसा

भाजपा से निर्वाचित सभापति का कार्यग्रहण बना राजनीति का अखाड़ा

नगर परिषद में सभापति कक्ष पर लगा मिला ताला

दौसाJun 02, 2018 / 04:58 pm

gaurav khandelwal

भाजपा से निर्वाचित सभापति का कार्यग्रहण बना राजनीति का अखाड़ा

दौसा. करीब पांच माह पूर्व अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद आज शनिवार को राजकुमार जायसवाल फिर से नगर परिषद सभापति की कुर्सी पर काबिज होने गए। वहां सभापति कक्ष के ताला लगा होने पर उन्होंने बाहर लॉन में ही पूजा अर्चना कर पदभार ग्रहण रिपोर्ट तैयार की। खास बात यह है कि मौके पर ना तो परिषद का कोई अधिकारी था और ना ही मौजूद कर्मचारियों के पास सभापति कक्ष की चाबी थी। जायसवाल ने बताया कि उन्होंने न्यायालय के आदेश पर कार्यग्रहण किया है। परिषदकर्मियों को ताला खुला रखना चाहिए था।
 


गौरतलब है कि एक पखवाड़े पूर्व राजस्थान उच्च न्यायालय ने अविश्वास प्रस्ताव को अवैध मानते हुए रद्द कर दिया था। साथ ही सांसद और विधायक को मत देने का अधिकार माना था। सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए 15 दिन का समय भी दिया। समयावधि पूरी होने के बाद अब भाजपा से निर्वाचित पार्षद जायसवाल फिर से पदभार संभाल रहे हैं। इस मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष सत्यनारायण शाहरा, पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ. रतन तिवाड़ी, एडवोकेट डीपी सैनी, उप सभापति वीरेन्द्र शर्मा सहित कई नेता मौजूद थे।
 

 

कक्ष के ताला लगा होना और परिषद् के अधिकारी नहीं होना चर्चा का विषय रहा। खास बात है कि बीजेपी के लोकल विधायक और सांसद भी मौजूद नहीं थे। कार्यभार ग्रहण के बाद जुलुस निकाला। आतिशबाजी से शहर गूंज उठा। जायसवाल ने कहा कि सत्य की जीत हुई। अब जनता की सेवा की जायेगी।

उल्लेखनीय है कि जायसवाल के खिलाफ 3 जनवरी को अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ था। 30 मत प्रस्ताव के पक्ष में आए थे। 14 मार्च को कांग्रेस के पार्षद मुरलीमनोहर शर्मा सर्वदलीय पार्षदों के समर्थन से निर्विरोध सभापति चुने गए थे। करीब डेढ़ माह बाद अब उन्हें कुर्सी छोडऩी पड़ेगी।
 


किस्मत के धनी
ढाई वर्षपूर्व सभापति के चुनाव में भी मुरलीमनोहर का भाग्य साथ नहीं दिया था। 20-20 बराबर वोट आने पर पर्ची निकलने पर जायसवाल अध्यक्ष बन गए थे। शहर में जायसवाल के किस्मत के धनी होने के साथ मुरलीमनोहर के भाग्य का साथ नहीं देने की भी खूब चर्चाहै। जायसवाल सात साल से अधिक दौसा नगर निकाय के अध्यक्ष रह चुके हैं।
 

उजागर हुई थी भाजपा की फूट
जायसवाल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर भाजपा की फूट भी उजागर हुई थी। भाजपा के 9 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष वोट दिया था। वहीं जायसवाल ने एक नेता को इस घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार बताया था। गौरतलब है कि दौसा नगर परिषद में कांग्रेस के 17, भाजपा के 12 तथा निर्दलीय 11 पार्षद हैं। अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 9 भाजपा, 14 कांग्रेस व 7 निर्दलीय पार्षद रहे थे। भाजपा व कांग्रेस के 3-3 तथा 4 निर्दलीय पार्षदों ने मतदान नहीं किया था। खास बात यह है कि उप सभापति वीरेन्द्र शर्मा के खिलाफ प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव में पार्षदों का गणित बदल गया था।
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