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दौसा

अभ्यास किया ना रोकी वेतनवृद्धि

कायदे-कनूनों का उल्लंघन करने पर आम आदमी पर तो सारे नियमों का हवाला देते हुए सख्त कार्रवाई की जाती है,

दौसाDec 07, 2015 / 11:35 pm

मुकेश शर्मा

dausa

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दौसा।कायदे-कनूनों का उल्लंघन करने पर आम आदमी पर तो सारे नियमों का हवाला देते हुए सख्त कार्रवाई की जाती है, लेकिन जब बात सरकारी महकमे की हो और कमी भी सरकार की हो तो सारे नियम-कायदे ताक में रख दिए जाते हैं। उस दौरान ना तो उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाती है और ना ही नियमों का पालन करने के लिए पाबंद किया जाता है। पुलिसकर्मियों के फायङ्क्षरग का नियमित अभ्यास करने के मामले में भी जिले में कुछ ऐसा ही हो रहा है।


फायङ्क्षरग का नियमित अभ्यास नहीं करने वाले पुलिसकर्मी व अधिकारियों की वेतन वृद्धि रोकने के नियम के बाद भी जिले में गत पांच वर्ष से फायङ्क्षरग का अभ्यास नहीं करने वाले पुलिसकर्मियों की वेतन वृद्धि नहीं रोकी गई। इसका सबसे बड़ा कारण है सरकार की उदासीनता। सरकार एएसआई से लेकर पुलिस अधीक्षक तक के अधिकारियों के फायङ्क्षरग के अभ्यास में काम आने वाले 9 एमएम व 38 बोर के कारतूसों की आवश्यकता अनुसार खरीद नहीं कर रही है। इसके अलावा सरकार ने प्रदेश में इसके उपयोग पर भी रोक लगा रखी है। ऐसे में जिले के एएसआई से लेकर पुलिस अधीक्षक गत पांच वर्ष में एक बार भी फायङ्क्षरग का अभ्यास नहीं सके।

योजनाओं पर खर्चा, आवश्यकता पर नहीं

सरकार वर्तमान में विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाने के लिए करोड़ों का बजट खपा रही रही, लेकिन अति आवश्यक सेवा में शामिल पुलिसकर्मियों के फायङ्क्षरग के अभ्यास की आवश्यकता पर सरकार का ध्यान नहीं है। यदि ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में पुलिसकर्मी हथियार तो रखेंगे, लेकिन उन्हें चलाना भूल जाएंगे। इससे कानून व्यवस्था को सम्भालना डेढ़ी खीर साबित होगा।



कारतूस हो तो करें फायङ्क्षरग

सरकार ने 38 बोर व 9 एमएम कारतूस का अभ्यास में उपयोग करने पर रोक लगा रखी है। ऐसे में अभ्यास नहीं कर पा रहे। कारतूस हो तो सभी पुलिसकर्मी समय पर अभ्यास कर पाएंगे।
प्रकाश कुमार शर्मा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, दौसा

क्या है नियम


पुलिस विभाग के नियमानुसार वर्तमान में जिलों में तैनात कांस्टेबल व हैड कांस्टेबलों की संख्या के 33 प्रतिशत जाप्ते को प्रतिवर्ष फायरिंग का अभ्यास कराना होता है। इससे एक पुलिसकर्मी का तीन वर्ष में एक बार फायङ्क्षरग अभ्यास करने का नम्बर आता है।

इसी प्रकार एएसआई से लेकर पुलिस पुलिस अधीक्षक तक के अधिकारियों को भी तीन वर्ष में एक बार फायङ्क्षरग का अभ्यास करना होता है। इनमें कांस्टेबल व हैड कांस्टेबलों को थ्री नोटथ्री व एसएलआर तथा अधिकारियों को रिवॉल्वर व पिस्टल से अभ्यास कराया जाता है। इसी प्रकार फायङ्क्षरग अभ्यास का पुलिसकर्मी व अधिकारियों की वेतन वृद्धि में अहम रोल होता है।
तीन वर्ष में पुलिसकर्मी व अधिकारी के फायङ्क्षरग नहीं करने पर उसकी रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय को भेजी जाती है।


इसके बाद सम्बन्धित पुलिसकर्मी व अधिकारी की वेतन वृद्धि रोक दी जाती है, लेकिन कारतूसों की कमी के चलते सरकार ने रिवॉल्वर व पिस्टल में काम आने वाले 38 बोर व 9 एमएम कारतूस का अभ्यास में उपयोग लेने में रोक लगा दी। ऐसे में एएसआई से लेकर पुलिस अधीक्षक गत पांच वर्ष से फायङ्क्षरग का अभ्यास नहीं कर सके, लेकिन सरकार की ही कमी होने के कारण इनकी वेतन वृद्धि नहीं रोकी गई।
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