करीब एक माह से ही शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा रही है। शहर में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हैं। नाले-नालियों में कचरा जमा होने से गंदा पानी रास्ते में जमा है। कई जगह तो लोगों का पैदल चलना भी दुभर हो गया है। इसे लेकर दौसा की रसोई संस्था ने पांच दिन पूर्व जिला कलक्टर व एसडीओ को ज्ञापन देकर स्थिति से अवगत कराया तथा धरना-प्रदर्शन की चेतावनी दी। इसके बावजूद हालात में सुधार नहीं होने पर संस्था ने शहर के अन्य संगठनों व आमजन के साथ मिलकर बुधवार को परिषद का घेराव कर विरोध-प्रदर्शन किया। मुख्य गेट के ताला जड़ा गया, लेकिन अन्य गेट खुले होने से कार्मिकों के आवागमन पर असर नहीं पड़ा।
दौसा की रसोई के संस्थापक मनोज राघव ने बताया कि सफाई व्यवस्था सुचारू कर घर-घर कचरा संग्रहण शुरू करने, सफाई ठेके की जांच, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई, ईडब्ल्यूएस के लिए सक्षम योग्य अधिकारी लगाने, सफाईकर्मियों को बकाया सहित पूरा वेतन देने सहित अन्य मांगों को लेकर धरना शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि परिषद के अधिकारियों पर विश्वास नहीं रहा है। ऐसे में प्रशासन के अधिकारी आकर समस्या का समाधान करने पर ही धरना खत्म किया जाएगा।
इस दौरान महेन्द्र आनंद, वीरेन्द्र शर्मा, प्रवीण शर्मा, दिवाकर जांगिड़, भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष लक्ष्मी रेला, पार्षद पूरण सैनी, रोहित डंगायच, संतोष शर्मा, सुमित्रा चौधरी, पं. राधेश्याम शर्मा सहित दर्जनों शहरवासी व सफाईकर्मी मौजूद थे।
नया ठेका देकर सफाई चालू कराई
धरने के दौरान कुछ पार्षदों ने नगर परिषद के अंदर जाकर आयुक्त सहित अन्य अधिकारियों से चर्चा की। इस दौरान कई बार गहमा-गहमी भी हुई। बाद में सभापति के प्रतिनिधि के रूप में पार्षद राकेश चौधरी ने बाहर आकर संबोधित करते हुए बताया कि अब नया ठेका दे दिया है। दो-चार दिन में ही सफाई व्यवस्था पटरी पर आ जाएगी। उन्होंने कहा कि ठेकेदार की कमजोरी के कारण अव्यवस्था हुई है। परिषद में बजट की कोई कमी नहीं है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया पूरी कर ठेकेदार को बदलने में वक्त लगा।