महुवा ग्रामीण. अग्रवाल सेवा सदन में अग्रवाल समाज का दीपावली स्नेह मिलन समारोह व अन्नकूट प्रसादी वितरण कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम की शुरूआत अध्यक्ष ओमप्रकाश गहनौली ने महाराज अग्रसेन के चित्र के समक्ष द्वीप जला कर की। इस दौरान परिवार मिलन समारोह आयोजित कर नई धर्मशाला निर्माण को लेकर चर्चा की गई। इसके पश्चात अन्नकूट प्रसादी का आयोजन किया गया। इसमें सैकड़ों लोगों ने प्रसादी ग्रहण की। इस अवसर पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रहलाद गोयल, गणपत मंगल, महिला सम्मेलन अध्यक्ष बीना बंसल, सीमा अग्रवाल, अनुराधा देवी, नवयुवक संघ अध्यक्ष रवि सिंहल, विमल, जगदीश चौधरी, पुरूषोत्तम, अखिलेश चौधरी, चन्दू बंसल, नीरज बंसल, हरिओम सिंहल सहित अनेक लोग मौजूद थे।
बसवा. कस्बे स्थित वैष्णों देवी माता के मंदिर में प्रथम अन्नकूट महोत्सव में लोगों ने प्रसादी पाई। माता की आकर्षक फूल बंगला झांकी सजाई गई। लोगों ने माता के जागरण में एक से बढ़कर एक भजन सुनाए।दोपहर में अन्नकूट महोत्सव में हजारों लोगों ने पंगत में बैठकर प्रसादी ग्रहण की। इस मौके पर तुलसीराम शर्मा, ओमप्रकाश साहू, बाबूलाल तलाववाला, विजय शर्मा, विजय टिक्कीवाल, प्यारेलाल सैनी, जितेन्द्र सोडिया आदि मौजूद थे।
सेवा, सिमरन से मानव कल्याण
लालसोट. संत निरंकारी मण्डल के तत्वावधान में रविवार को सामुदायिक भवन तम्बाकूपाड़ा में हुए सत्संग में प्रकाश निरंकारी ने कहा कि सेवा सिमरन व सत्संग करते हुए मानव जीवन जीना चाहिए। इससे मानव का कल्याण सम्भव है।
उन्होंने कहा कि मानव शरीर प्राप्त करके भी प्रभु दर्शन से वंचित रहना, अहंकार का नहीं त्यागना, संत के चरणों में नमस्कार न करना तथा संत द्वारा विनम्रता पूर्वक आत्म ज्ञान नहीं प्राप्त करना संसार में सबसे भारी पाप कर्म है। घनश्याम, गोपाल, चौथमल ने भी विचार व्यक्त किए। अन्य स्थानों पर भी सत्संग का आयोजन किया गया। (नि.सं.)
लालसोट. संत निरंकारी मण्डल के तत्वावधान में रविवार को सामुदायिक भवन तम्बाकूपाड़ा में हुए सत्संग में प्रकाश निरंकारी ने कहा कि सेवा सिमरन व सत्संग करते हुए मानव जीवन जीना चाहिए। इससे मानव का कल्याण सम्भव है।
उन्होंने कहा कि मानव शरीर प्राप्त करके भी प्रभु दर्शन से वंचित रहना, अहंकार का नहीं त्यागना, संत के चरणों में नमस्कार न करना तथा संत द्वारा विनम्रता पूर्वक आत्म ज्ञान नहीं प्राप्त करना संसार में सबसे भारी पाप कर्म है। घनश्याम, गोपाल, चौथमल ने भी विचार व्यक्त किए। अन्य स्थानों पर भी सत्संग का आयोजन किया गया। (नि.सं.)