फागोत्सव मनाया
महुवा. तहसील रोड स्थित नवनिर्मित कल्याणजी मंदिर पर फागोत्सव मनाया गया। भजनों पर महिलाओं ने नृत्य किया एवं फूलों से होली खेली गई। इस दौरान मंदिर को रोशनी से सजाया गया। सतीश टुडियाना, रामचरण शर्मा, दयाकांत शर्मा, कन्हैयालाल, सतीश ठिकरिया आदि मौजूद थे। (महुवा ग्रामीण)
महुवा. तहसील रोड स्थित नवनिर्मित कल्याणजी मंदिर पर फागोत्सव मनाया गया। भजनों पर महिलाओं ने नृत्य किया एवं फूलों से होली खेली गई। इस दौरान मंदिर को रोशनी से सजाया गया। सतीश टुडियाना, रामचरण शर्मा, दयाकांत शर्मा, कन्हैयालाल, सतीश ठिकरिया आदि मौजूद थे। (महुवा ग्रामीण)
होली मिलन समारोह मनाया
महुवा. अग्रवाल धर्मशाला में अग्रवाल समाज का होली मिलन समारोह हुआ। भक्ति संगीत के साथ फूलों से होली खेली गयी। इस दौरान ओमप्रकाश गहनौली, जिलाध्यक्ष कृष्णा मित्तल, महामंत्री बनवारी खेडला, किशोर टुडियाना, दामोदर, मोहन बजाज, देवव्रत, प्रहलाद गोयल, दिनेश, विमल आदि मौजूद थे। (महुवा ग्रामीण)
महुवा. अग्रवाल धर्मशाला में अग्रवाल समाज का होली मिलन समारोह हुआ। भक्ति संगीत के साथ फूलों से होली खेली गयी। इस दौरान ओमप्रकाश गहनौली, जिलाध्यक्ष कृष्णा मित्तल, महामंत्री बनवारी खेडला, किशोर टुडियाना, दामोदर, मोहन बजाज, देवव्रत, प्रहलाद गोयल, दिनेश, विमल आदि मौजूद थे। (महुवा ग्रामीण)
गणगौर पूजा शुरू
सिकराय. सुहागिनों का त्योहार गणगौर पर्व शुरू हो चुका है। सुख, सौभाग्य व श्रेष्ठ वर की कामना के साथ कुंवारी लड़कियां नवविवाहिताओ और महिलाओं ने धुलंडी के दिन से ही होली की राख से 16 गणगौर बनाकर पूजा प्रारंभ कर दी। गणगौर की पूजा के लिए महिलाएं बगीचों से मंगल गीत गाते हुए दूब और पानी लेकर आती हैं।पंडित ओमप्रकाश त्रिवेदी ने बताया कि गणगौर पर्व पर परंपरागत गीतों के साथ ही ईसर और पार्वती का पूजन किया जाता है आठवें दिन मिट्टी से बड़ी गणगौर माता बनाई जाती है। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीय तक 16 दिन तक चलने वाले इस पर्व में कुंवारी लड़कियां जहां गाने यानी शिव तथा गोरियानी पार्वती से मनपसंद वर पाने की कामना करती है, वहीं विवाहित महिलाएं सुहाग की सलामती के लिए पूजन करती हैं।
सिकराय. सुहागिनों का त्योहार गणगौर पर्व शुरू हो चुका है। सुख, सौभाग्य व श्रेष्ठ वर की कामना के साथ कुंवारी लड़कियां नवविवाहिताओ और महिलाओं ने धुलंडी के दिन से ही होली की राख से 16 गणगौर बनाकर पूजा प्रारंभ कर दी। गणगौर की पूजा के लिए महिलाएं बगीचों से मंगल गीत गाते हुए दूब और पानी लेकर आती हैं।पंडित ओमप्रकाश त्रिवेदी ने बताया कि गणगौर पर्व पर परंपरागत गीतों के साथ ही ईसर और पार्वती का पूजन किया जाता है आठवें दिन मिट्टी से बड़ी गणगौर माता बनाई जाती है। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीय तक 16 दिन तक चलने वाले इस पर्व में कुंवारी लड़कियां जहां गाने यानी शिव तथा गोरियानी पार्वती से मनपसंद वर पाने की कामना करती है, वहीं विवाहित महिलाएं सुहाग की सलामती के लिए पूजन करती हैं।