शहरों में अपवाद को छोड़ कर अनुमत दुकानें ही खुल रही है, लेकिन ग्रामीण कस्बों में तो व्यापारी और आमजन दोनों ही नहीं मान रहे। यहां अनुमत से अधिक बिना अनुमत वाली दुकानों पर भीड़ अधिक देखने को मिल रही है। ग्रामीण इलाकों में परचूनी व सब्जी की दुकानों से अधिक भीड़ कपड़ा, बर्तन, पान की दुकान, चाय की दुकान, इलेक्ट्रॉनिक सामान की दुकानों पर भीड़ नजर आएगी। यानि पूरा का पूरा बाजार खुल रहा है। सुबह 11 बजे तक न उनको कोई रोकने वाला है ना ही टोकने वाला। धड़ल्ले से बाजार चल रहे हैं। जिले में दस-दस हजार की आबादी वाले गांवों के कस्बों में दर्जनों दुकानें सुबह 11 बजे तक एवं शाम को पांच बाद खुल जाती हैं। दोपहर में पुलिसकर्मियों के आने के कारण दुकानें बंद कर देते हैं।
रसद विभाग भी नहीं दे रहा ध्यान
जिले में इन दिनों एपीएल, बीपीएल एवं अन्त्योदय परिवारों को राशन का गेहूं मिल रहा है। कोरोना वायरस की मार के बावजूद पोश मशीनों पर अंगूठे लगवाए जा रहे हैं। इससे वायरस फैलने का खतरा पैदा हो रहा है। जबकि गत वर्ष सरकार ने पोश मशीनों पर अंगूठा नहीं लगवा कर मोबाइल में ओटीपी से लोगों को राशन सामग्री वितरित की थी। राशन की दुकानों पर गेहूं लेने वाले लोगों की जमकर भीड़ देखी जा रही है। सोशल डिस्टेंस की पालना नहीं हो रही। महिलाएं तो मास्क की जगह मुंह पर कपड़ा व पुरुष गमछा लगाकर आ जाते हैं। राशन डीलरों ने दूरी बनाने के लिए गोले तक नहीं बना रखे हैं।