वन अधिकारियों ने अपने बचाव के लिए दस्तावेजों के गायब होने की एफआइआर चंडीगढ़ में दर्ज कराई है। दस्तावेज गायब होने के मामले में वन विभाग के अधीक्षक राजेंद्र सिंह छिल्लर की ओर से एफआइआर कराई गई है।
छिल्लर की ओर से दर्ज एफआइआर में तमाम ऐसी दलीलें दी गई हैं, जिनके आधार पर वन विभाग के अधिकारियों को पाक-साफ और मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों को गलत ठहराने की कोशिश की जा रही है। अधीक्षक की ओर से दर्ज एफआइआर में कहा गया है कि चार्जशीट वापस लेने की सिफारिश संबंधी फाइल सीएमओ को भेजी गई थी, लेकिन जब फाइल वापस मिली तो उसमें कुछ नोटिंग और कुछ कागज गायब थे।
वन विभाग के अधीक्षक राजेंद्र छिल्लर का कहना है कि संबंधित मामले में आनलाइन शिकायत दर्ज करा दी गई है। फाइल आखिरी बार मुख्यमंत्री कार्यालय से वापस आई थी। उसमें कुछ कागज नहीं थे।
इस तरह से चला संजीव चतुर्वेदी और हरियाणा सरकार के बीच खेल
हिसार में जिला वन अधिकारी रहते हुए संजीव चतुर्वेदी ने कांग्रेस सरकार में अवैध खनन, फर्जी पौधारोपण, अवैध शिकार तथा हर्बल पार्क में पौधारोपण को लेकर मामले उजागर किए थे। इसके बाद चतुर्वेदी को चार्जशीट दी गई। केंद्र सरकार की कमेटी ने चतुर्वेदी की चार्जशीट वापस लेने की संस्तुति की। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद राज्यपाल ने चतुर्वेदी की चार्जशीट वापस लेने के आदेश जारी किए। नवंबर २०१२ में चतुर्वेदी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पूरे केस की सीबीआइ जांच के आदेश दे दिए, मगर सरकार कोर्ट चली गई। मई २०१६ में एडवोकेट जनरल कार्यालय ने चतुर्वेदी का केस वापस लेने की अनुशंसा की। नवंबर २०१७ में चतुर्वेदी ने राज्यपाल से शिकायत की कि तत्कालीन सरकार उनके आदेशों को छिपाकर हाईकोर्ट गई। मार्च २०१८ में चतुर्वेदी ने पूरे केस में आरटीआइ से जानकारी मांगी तो पता चला कि फाइलों के दस्तावेज ही गायब हैैं।
वन विभाग के प्रधान सचिव एसएन राय का कहना है कि उन्हें एफआइआर के बारे में जानकारी नहीं है। इस केस के बारे में कुछ भी कार्यालय में फाइलें देखकर ही कहा जा सकता है।