टूटी कार्यकर्ताओं की उम्मीद
सूत्रों के मुताबिक फिलहाल दायित्व भी नहीं बांटे जाएंगे। दरअसल भाजपा कार्यकर्ताओं और विधायकों को इस बात की उम्मीद जगी थी कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दौरे से कम से कम दायित्व आवंटन और मंत्रियों के सवा साल से रिक्त पड़े पदों को भरने में सहूलियत होगी। हालांकि संगठन की ओर से इस प्रकरण को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष पर दबाव बनाने की कोशिश भी की गई लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने संगठन की बात का तवज्जो नहीं दिया और कहा कि जल्दीबाजी में न ही मंत्री पद और न दायित्य किसी को भी आवंटित किए जाएंगे।
शाह पर बनाया दबाव पर नहीं पड़ा कोई असर
मंत्रियों के रिक्त पड़े दोनों पदों को भरने और कार्यकर्ताओं को दायित्व दिलाने को लेकर खुद प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अजय भट्ट सहित प्रदेश के कई सांसद राष्ट्रीय अध्यक्ष पर दबाव बनाए हुए थे। लेकिन शाह ने मुख्यमंत्री की बात सुनी और कहा कि सभी को प्रदेश के विकास के लिए कार्य करना चाहिए। दायित्व और मंत्री पदों को भरने के लिए कुछ विधायकों और सांसदों ने भी शाह से मुलाकात की लेकिन शाह ने किसी की भी बात नहीं सुनी।
दायित्व बांटने को लेकर व्यक्त की जा रही यह संभावनाएं
माना जा रहा है कि निकाय चुनाव के बाद ही सरकार दायित्व आवंटन पर विचार करेगी। यह भी संभव है कि मंत्रियों के रिक्त पदों को वर्ष 2019 तक के लिए रोक दिया जाए। असल में भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व यह चाह रहा है कि निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव में सभी भाजपाई पूरी ताकत के साथ पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन में काम करें। उसके बाद ही दायित्व आवंटन और मंत्रियों के रिक्त पड़े पदों को भरा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि संगठन दायित्व आवंटन की मांग कर रहा है जबकि मुख्यमंत्री फिलहाल दायित्व बांटने के मूड में नहीं हैं। इसलिए कई विधायकों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा भी खोला रखा है। बावजूद शाह ने मुख्यमंत्री का साथ दिया और विक्षुब्ध विधायकों को फटकार भी लगाई।