चार साल से चल रही थी निलंबित
बता दें कि अनुराधा गर्ग वर्ष 2008 की न्यायीक सेवा की अधिकारी है। वे वर्ष 2015 से भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित चल रही थीं। इस बारे में प्राथमिक जांच के आदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने दिए थे। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल डीपी गैरौला ने मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर 27 मार्च 2015 को आदेश जारी कर अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट काशीपुर ( ऊधमसिंह नगर ) अनुराधा गर्ग को प्रारंभिक जांच में अनियमितताएं आने पर भ्रष्ट्राचार के आरोप में निलंबित किया था।
मामले मेें हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल नरेंद्र दत्त ने जांच अधिकारी नियुक्त किया था। प्रारंभिक जांच के बाद रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश की गई। रिपोर्ट में अनुराधा के भ्रष्टाचार में संलिप्त होने की बात कही गई थी। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार गैरोला ने निलंबन के आदेश जारी किए।
इसके बाद जांच अधिकारी हरिद्वार जिला जज विवेक भारती की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने अनुराधा को बर्खास्त करने की संस्तुति राज्यपाल को भेजी थी। राज्यपाल की मंजूरी के बाद प्रमुख सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी की ओर से बर्खास्तगी का आदेश जारी किया गया। हाईकोर्ट के उच्च पदस्थ अधिकारियों ने अनुराधा के बर्खास्त होने की पुष्टि की है।