बीकेटीसी सीईओ बीडी सिंह बताते हैं कि इस बारे में बगरू प्रिंट के कुर्ते और ओढ़नी बनाने वाले राजस्थान उत्पादकों से समिति की बातचीत चल रही है। किसी भी उत्पादक को काम देने से पहले समिति की पहली शर्त यह है कि वह चमोली जिले में एक यूनिट की स्थापना की जाए। इतना ही नहीं इसमें स्थानीय निवासियों को नौकरी भी दी जाए।
बीडी सिंह ने बताया कि इस प्रयास से सालाना लगभग 40 करोड़ रूपए की आय होने की संभावना है। यह आमदनी लोगों के पास ही जाएगी। यात्रा में ड्रेस कोड़ के रूप में लागू किए जाने वाले परिधानों की कीमत 400 रूपए प्रति परिधान होगी। यह व्यवस्था श्रद्धालुओं का खर्च बढ़ाने के लिए नहीं है। इससे केवल मंदिर में सौम्य माहौल तैयार होगा व स्थानीय गरीबों को रोजगार मिलेगा। इसका पुण्य भी श्रद्धालुओं के हिस्से में ही आएगा।
गौरतलब है कि इस बार चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं का आंकडा आठ दिन के भीतर एक लाख को पार कर गया है। ऐसे में यह प्रयास स्थानीय निवासियों की आय का स्त्रोत बनेगा। इसके साथ ही स्थानीय लोगों का मंदिर से भी जुड़ाव होगा। इसके अलावा वर्ष 2018 में चारधाम यात्रा 18 अप्रैल को शुरू हो गई थी। इस दौरान श्रद्धालुओं का आंकड़ा 28 लाख को पार कर गया था। यह वर्ष 2012 के बाद उत्तराखंड के चार धामों में पहुंचने वाले यात्रियों की सबसे बड़ी संख्या थी। ऐसे में आय का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
परिधानों की खासियत
राजस्थान बगरू प्रिंट के परिधानों की खासियत है कि केसरिया रंग में चारधाम के अधिपतियों का जयघोष अंकित है। जैसे कि हर हर गंगे, जय केदार बाबा, जय गंगोत्री, जय यमुनोत्री, जय बद्री विशाल, जय केदारनाथ। इससे पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है।
अधिकृत परिधान के बिना दोनों धामों में प्रवेश पर होगी पाबंदी
केदारनाथ – बदरी विशाल में ड्रेस कोड लागू करने के लिए बीकेटीसी द्वारा एक्सयूकिटिव आदेश जारी किया जाएगा। इसके बाद धाम में वही व्यक्ति प्रवेश कर पाएगा, जिन्होंने उक्त परिधान पहने होंगे। ड्रेस कोड की यह व्यवस्था देश के अन्य मंदिरों में पहले से ही लागू है। उदाहरण के लिए महाकाल मंदिर जहां महिलाएं व पुरुष बिना ड्रेस को़ड़ के अभिषेक नहीं कर सकते।