कईं काम अटके…
असल में स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी इन धामों से ही चलती है। हर साल लाखों की संख्या में देशी और विदेशी श्रद्धालु उत्तराखंड आते हैं। सरकार ने चारधाम यात्रा को स्थानीय लोगों के लिए खोलने का फैसला तो ले लिया है लेकिन इन धामों की व्यवस्थाएं काफी लचर हैं। इस साल जनवरी से यात्रा रूट में शौचालय, पेयजल, बिजली सप्लाई, सड़कों और संपर्क मार्गों की मरम्मत जैसे महत्वपूर्ण कार्य शुरू होने थे लेकिन फंड समय पर रिलीज नहीं होने से कोई भी कार्य नहीं हुए हैं। उसके बाद लाॅकडाउन ही शुरू हो गया है। केदारनाथ पैदल मार्ग तो काफी खतरनाक हो गया है। रेलिंग और जगह-जगह चिकित्सा केंद्र स्थापित करने की योजना है लेकिन यह कार्य भी नहीं हो पाया है। अब भी पूरे यात्रा रूट में 800 से ज्यादा डेंजर मार्गों की मरम्मत होनी है।
क्या कहते हैं मंत्री…
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि लाॅकडाउन की वजह से कई काम बाकी हैं। धीरे-धीरे कुछ काम जैसे शौचालय निर्माण और पेयजल सप्लाई की व्यवस्था को दुरूस्त किया जाएगा। दरअसल, कोरोना वायरस के बढ़ रहे संक्रमण को देखते हुए केंद्र ने चारधाम यात्रा पर रोक लगा रखी है। उत्तराखंड के बाहर से आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए प्रतिबंध अब भी जारी रहेगा। उत्तराखंड में कुल 13 जिले हैं जिनमें और शेष 10 जिले ग्रीन जोन में शामिल हैं।
‘स्थानीय लोगों के लिए 4 मई के बाद चारधाम यात्रा खोलने का फैसला लिया गया है। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन किया जाएगा। श्रद्धालुओं को सभी चिकित्सकीय मानकों का पालन करना होगा। जल्द ही इसके दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।’
-त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड