सूत्रों के मुताबिक आपदा प्रबंधन विभाग बरसात के मौसम में अधिकतम 7 दिन में होने वाले भविष्य के संकेतों पर संबंधित जनपदों में तैनात आपदा प्रबंधन की टीम को अलर्ट करेगा। विभाग के मुताबिक एेसा करने से कई तरह के फायदे हैं। भूस्खलन और बारिश से होने वाले सर्वाधिक नुकसान को इससे कम किया जा सकता है। इसके लिए मौसम के हिसाब से हर रोज सात दिन तक विशेष रूप से प्रशिक्षित युवक और युवतियों को आपदा प्रबंधन विभाग सतर्क करेगा। इस दौरान संबंधित जनपद या फिर जिन शहरों में मूसलाधार बारिश की आशंका है वहां 20 से 40 ट्रेंड युवक और युवतियों को मुस्तैद रखा जाएगा। जो जरूरत के हिसाब से आपदा के दौरान लोगों की मदद करेंगे। आपदा प्रबंधन विभाग का मानना है कि इससे काफी फायदा होगा। विशेष रूप से आपदा में फंसे जीवन को बचाया जा सकता है। केवल इतना ही नहीं बादल फटने की स्थिति में प्रशिक्षित युवक और युवतियां बचाव और राहत के दौरान काफी मददगार साबित हो सकते हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक विशेष रूप से ट्रेंड युवक और युवतियों का इस्तेमाल वर्तमान में आपदा आने के बाद किया जाता है। तब तक भूस्खलन और मूसलाधार बारिश से काफी नुकसान हो जाता है। एेसी स्थिति से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग बारिश की आशंका के मद्देनजर जनपदों में अपनी टीम के अलावा ट्रेंड युवक और युवतियों को पहले चरण में तैयार रखेगा। उसके बाद यदि स्थिति ज्यादा बदतर होती है तो दूसरे और तीसरे चरण में पूर्व में विशेष प्रशिक्षित युवकों और युवतियों को राहत और बचाव कार्य में उतारेगा। आपदा प्रबंधन के पास अब तक 12 हजार से ज्यादा प्रशिक्षण प्राप्त युवक और युवतियां हैं। जिनमें 6 हजार युवक और युवतियां विशेष रूप से दक्ष हैं। जो कभी भी किसी समय आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्य में प्रभावितों की मदद कर सकते हैं।
आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के अधिशासी निदेशक डा.पीयूष रौतेला के मुताबिक ट्रेंड युवक और युवतियां स्थानीय होते हैं और उन्हें वहां की भौगोलिक हालात की जानकारी होती है। डा.रौतेला के मुताबिक आपदा प्रबंधन की टीम या फिर अन्य बचाव के उपकरण पहुंचने में काफी समय लग जाता है। तब तक काफी नुकसान हो जाता है। लेकिन विशेष रूप से इन प्रशिक्षितों को बचाव और राहत जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में उतारने पर जान माल की क्षति को कम किया जा सकता है। इसलिए आपदा प्रबंधन विभाग इस फार्मूले पर गंभीरता से काम कर रहा है।