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देहरादून

गैरसैंण को लेकर सरकार और संगठन में ठनी,गरमाई उत्तराखंड की राजनीति

विधानसभा सत्र को लेकर अपनी ही सरकार पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने इस बार काफी तेज हमला बोला है…

देहरादूनNov 26, 2018 / 06:38 pm

Prateek

cm file photo

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(पत्रिका ब्यूरो,देहरादून): उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र आगामी 4 दिसंबर से शुरू होगा। लेकिन इस सत्र को लेकर सरकार और संगठन में ठन गई है। दरअसल विधानसभा का यह सत्र देहरादून में आयोजित किया गया है, जबकि लंबे समय से चमोली जनपद के गैरसैंण में उत्तराखंड की स्थाई राजधानी बनाने की मांग चल रही है। इस क्रम में ही गैरसैंण में भी सत्र का आयोजन सरकार कई बार करा चुकी है। गैरसैंण में सत्र चलाने और राजधानी बनाने की मांग को लेकर अक्सर ही भाजपा और कांग्रेस के बीच तनातनी रहती है।


विधानसभा सत्र को लेकर अपनी ही सरकार पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने इस बार काफी तेज हमला बोला है। भट्ट ने सार्वजनिक रूप से यह बयान भी दिया है कि गैरसैंण में सत्र आयोजित करने का कोई औचित्य ही नहीं है। गैरसैंण में सुविधाएं ही नहीं हैं। सरकार पहले गैरसैंण में सुविधाएं तो विकसित करे। उसके बाद ही गैरसैंण में सत्र का आयोजन के संबंध में सोचना ठीक रहेगा।

गौरतलब है कि जब उत्तराखंड की सत्ता में जब कांग्रेस थी, तब उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष अजय भट्ट बार—बार कांग्रेस की सरकार पर दबाव बनाते रहे कि गैरसैंण को राजधानी बनाया जाए। गैरसैंण में सत्र का आयोजन किया जाए। लेकिन सत्ता में आते ही उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष अजय भट्ट ने अपना सुर ही बदल दिया। उन्होंने पहले की तरह ही अपनी ही सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि विपक्ष में रहते ही भाजपा अध्यक्ष बार—बार यही बात कहते रहे कि जब उत्तराखंड में भाजपा की सरकार सत्ता में आएगी, तब गैरसैंण में ही विधान सभा का सत्र चलाया जाएगा। लेकिन अब भट्ट को गैरसैंण के नाम से परहेज है। असल में पिछले 18 सालों से गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थाई राजधानी बनाने की मांग को लेकर क्षेत्रीय पार्टियां और स्थानीय लोग आंदोलन करते रहते हैं। भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों का स्टैंड गैरसैंण को लेकर कभी भी साफ नहीं रहा है। दोनों ही राजनीतिक पार्टियां चुनाव के समय गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग जरूर करती हैं लेकिन चुनाव बीत जाने के बाद गैरसैंण को भूल जाती हैं।


स्थानीय लोगों को खुश करने के लिए कांग्रेस की सरकार जब प्रदेश की सत्ता में थी, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी गैरसैंण में सत्र का आयोजन कराया था। उसके बाद जब भाजपा की सरकार सत्ता में आई तब वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी विधानसभा का सत्र गैरसैंण में कराया था। लेकिन इस बार गैरसैंण में पड़ रही कड़ाके की ठंड की वजह से मुख्यमंत्री ने गैरसैंण में सत्र कराने से इंकार किया है। इस बार का सत्र देहरादून में आगामी 4 दिसंबर से शुरू होगा जो एक सप्ताह तक चलेगा।


सरकार करेगी तय,संगठन करे अपना काम— सीएम

उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष अजय भट्ट के बयान से पूरे प्रदेश में भूचाल आ गया है। भट्ट ने यह कह कर अपनी ही सरकार की किरकिरी कर दी है कि पहले गैरसैंण में अवस्थापना सुविधाएं ठीक की जाएं। उसके बाद वहां पर सत्र कराना ठीक रहेगा। भट्ट के बयान को कांग्रेस ने भी लपक लिया है और कहा है जब भट्ट विपक्ष में थे तो गैरसैंण से काफी प्रेम था लेकिन अब उनकी पार्टी सत्ता में है तो वे गैरसैंण से दूर हो गए हैं। दूसरी आेर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्पष्ट किया है कि गैरसैंण में सत्र होना चाहिए या नहीं, यह सरकार तय करेगी। संगठन से इसका कोई मतलब ही नहीं है। संगठन अपना काम करे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गैरसैंण को लेकर सरकार काफी गंभीर है। प्रदेश के लोगों को गुमराह होने की जरूरत नहीं है।


उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों निकाय चुनाव परिणामों को लेकर भी सरकार और संगठन में ठन गई थी। अब गैरसैंण में सत्र कराने को लेकर सरकार और संगठन की राय भी अलग—अलग हो गई है। हालांकि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि गैरसैंण के प्रति सरकार कभी भी लापरवारह नहीं रही है। सत्र वहां भी होंगे। लेकिन इस बार विधानसभा का सत्र देहरादून में ही आयोजित करने का फैसला लिया गया है।

 

‘विधानसभा सत्र से संगठन का कोई लेना देना नहीं है। सत्र कहां होगा यह सरकार तय करेगी। संगठन को अपना काम करना चाहिए‘’ त्रिवेंद्र सिंह रावत,मुख्यमंत्री ,उत्तराखंड शासन

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