सरकार ने दी कई दलीलें नहीं माना विपक्ष
संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि सरकार का पूरा फोकस गैरसैंण पर ही है। उन्होंने कहा कि गैरसैंण को अत्याधुनिक सुविधाआें से सुसज्जित किया जाएगा। पंत ने कहा कि 15 वें वित्त आयोग को 700 करोड़ रुपए का एक प्रस्ताव भेजा जा चुका है। गैरसैंण को सरकार स्मार्ट सिटी बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा 177 करोड़ की राशि पहले ही स्वीकृत हुई है जिसमें मात्र 22 करोड़ ही शेष हैं। पंत ने कहा कि गैरसैंण में एक झील का भी निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा 4 सदस्यीय एक कमेटी का गठन भी हुआ है जो सरकार को निरंतर सलाह भी दे रही है। लेकिन विपक्ष ने पंत से यह स्पष्ट करने को कहा कि सरकार गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाना चाहती है या फिर अस्थाई। सरकार को सबसे पहले यह स्पष्ट करना चाहिए।
गैरसैंण में हुए विकास का क्रेडिट लेने की कोशिश में विपक्ष
प्रीतम सिंह ने कहा कि गैरसैंण आस्था का विषय है। गैरसैंण में अब तक जो कुछ भी विकास कार्य हुए हैं। सब कांग्रेस के शासनकाल में ही हुए हैं। उन्होंने कहा कि गैरसैंण को लेकर सरकार और भाजपा के दिग्गजों की अलग—अलग राय है। लिहाजा सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिरकार उत्तराखंड की स्थाई राजधानी कहां होगी। प्रीतम सिंह ने कहा कि सरकार तो पीठ का आदेश भी नहीं मानती है। कुल मिलाकर सरकार कोर्ट द्वारा संचालित हो रही है। गोविंद सिंह कुंजावाल ने कहा कि गैरसैंण में पानी के लिए कांग्रेस की सरकार ने 160 करोड़ ने दिए थे। वहां निर्माण हो रहे सचिवालय के लिए पैसे भी कांग्रेस के समय ही जारी किए गए थे। उसके बाद से वहां पर निर्माण कार्य ठप पड़े हुए हैं।
स्पष्ट हो सरकार का स्टैण्ड
गैरसैंण पर ममता राकेश ने कहा कि सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है। भाजपा कुछ और कहती है। मुख्यमंत्री का बयान कुछ और आता है। लेकिन प्रदेश की जनता सच्चाई जानना चाहती है। लिहाजा सरकार को गैरसैंण पर अपना स्टैंड स्पष्ट करना चाहिए। आदेश चौहान का कहा कि 18 साल में अब तक यह तय नहीं हो पाया है कि प्रदेश की राजधानी कहां होगी। मनोज रावत ने कहा कि गैरसैंण पहाड़ की जरूरत है।