केवल सीएम को दी तवज्जो
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रधानमंत्री ने न ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और न ही किसी सांसद या फिर विधायक को इन्वेसटर्स समिट के दौरान तवज्जो दी है बल्कि पार्टी के सांसदों की आेर पलट देखा भी नहीं। सांसद जरूर चाह रहे थे कि उन्हें एक दो मिनट का समय मिल जाए। लेकिन प्रधानमंत्री ने किसी से भी मिलने से साफ साफ इंकार कर दिया। उत्तराखंड में आजकाल इस बात की चर्चा जोरों पर है।
मुख्यमंत्री के लिए सबसे राहत वाली बात अब यह है कि उनके खिलाफ सांसद और विधायक जो मुहिम छेड़े हुए हैं। अब भविष्य में थम जाने की उम्मीद है। दरअसल पिछले डेढ़ साल से मुख्यमंत्री को अस्थिर करने की एक बड़ी साजिश चल रही है लेकिन मुख्यमंत्री की पकड़ प्रधानमंत्री तक होने की वजह से पार्टी के दिग्गज नेताआें का मुख्यमंत्री के खिलाफ उठा विरोध का स्वर दब जाता है।
इस वजह से चल रही सीएम विरोधी हवा
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ रखा है। जिससे न केवल कांग्रेस के नेताआें में बेचैनी है बल्कि भाजपा के उन नेताआें की स्थिति काफी बदतर हो गई है जो गड़बड़झाला कर रहे हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री से 20 से ज्यादा विधायक नाराज चल रहे हैं। विधायकों ने तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को एक पत्र भी भेजा है जिसमें स्पष्ट रूप से इस बात का उल्लेख है कि उत्तराखंड सरकार कार्यकर्ताआें की बात नहीं सुन रही है। दायित्व भी सरकार पार्टी कार्यकर्ताआें को नहीं बांट रही है। मंत्री के दो पद लंबे समय से रिक्त पड़े हुए हैं। पर मुख्यमंत्री का ध्यान इन सब चीजों पर नहीं है।
भाजपा हाइकमान को सीएम से कोई शिकायत नहीं
विधायकों द्वारा लिखी गई चिट्ठियों का भी भाजपा हाईकमान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। जबकि भाजपा हाईकमान ने मुख्यमंत्री के खिलाफ षडय़ंत्र करने वाले विधायकों को जमकर फटकार लगाई। साथ ही विधायकों को चेतावनी भी दी कि मुख्यमंत्री के खिलाफ सजिश दोबारा नहीं करें। वरना अंजाम भुगतने को तैयार रहें।