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उत्तराखंड: केंद्रीय वित्त मंत्री से मिले कैबिनेट मंत्री सतपाल, हरिद्धार महाकुंभ के लिए मांगे पांच हजार करोड़

locationदेहरादूनPublished: Jun 21, 2019 10:07:36 pm

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Prateek

Haridwar Kumbh 2021: विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित इस बैठक के दौरान कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि हरिद्वार में वर्ष 2021 ( Kumbh 2021 ) के पहले हफ्ते से आयोजित होने वाले महाकुम्भ के लिए अब लगभग एक वर्ष सात माह का ही समय शेष है, सभी तैयारियां जल्द पूरी होनी चाहिए…

Haridwar Kumbh 2021

उत्तराखंड: केंद्रीय वित्त मंत्री से मिले कैबिनेट मंत्री सतपाल, हरिद्धार महाकुंभ के लिए मांगे पांच हजार करोड़

(देहरादून,हर्षित सिंह): हरिद्वार में 2021 ( Haridwar Kumbh 2021 ) में होने वाले कुंभ और उत्तराखंड में प्रस्तावित 38वें राष्ट्रीय खेलों ( 38th National Games ) के लिए उत्तराखण्ड के पर्यटन, तीर्थाटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ( Cabinet Minister Satpal Maharaj ) ने केंद्र सरकार ( Modi government ) से 5628 करोड़ रुपए बजट में प्रावधान करने की मांग की है। उन्होंने यह मांग आज केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ( Nirmala Sitharaman ) की अध्यक्षता में आयोजित “प्री-बजट कंसल्टेशन” ( Pre-budget consultation ) संबंधी बैठक में की।


विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित इस बैठक के दौरान कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने उत्तराखंड की वित्तीय स्थिति एवं अर्थव्यवस्था पर चर्चा की। इस दौरान सतपाल महाराज ने हरिद्वार में वर्ष 2021 में आयोजित होने वाले महाकुंभ ( Kumbh 2021 ) के लिए पांच हजार करोड़ रुपए की मांग की। उन्होंने कहा कि हरिद्वार में वर्ष 2021 के पहले हफ्ते से आयोजित होने वाले महाकुम्भ ( kumbh mela 2021 ) के लिए अब लगभग एक वर्ष सात माह का ही समय शेष है, इसके चलते कुंभ मेले के आयोजन से संबंधित स्थायी प्रकृति के कार्यों की स्वीकृतियां प्राथमिकता के आधार पर पूरी की जानी जरूरी है। इससे कुँभ मेले के आयोजन से पहले ही अक्टूबर से लेकर नवंबर 2020 तक समस्त कार्य पूरा हो सके। इसके साथ ही कैबिनेट मंत्री सतपाल ने कहा कि उत्तराखंड को 38 वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन का अवसर मिला है। इसका आयोजन वर्ष 2021 में किया जाना है।

 

 

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय खेलों (National Games India) के 38 वें संस्करण मेें 39 खेल विधाओं में खेल प्रतियोगितायें आयोजित की जायेंगी। इन खेलों के आयोजन हेतु सम्पतियों के निर्माण में समय लगेगा। इसलिए राष्ट्रीय खेलों को राज्य में सफलतापूर्वक आयोजित किये जाने एवं अवस्थापना विकास हेतु रूपये 682 करोड़ की धनराशि वर्ष 2019—20 में उपलब्ध करवाने का भी अनुरोध किया।


बैठक के दौरान सतपाल महाराज ने बताया कि राज्य की दुर्गम भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए निर्माण सामग्री को निर्माण स्थल तक पहुंचाने में अत्याधिक खर्च होने के कारण हिमालयी राज्यों के लिए प्रति लाभार्थी रूपये 1.30 लाख को बढ़ाकर प्रति लाभार्थी रूपये दो लाख की सहायता राशि का प्रावधान किया जाए। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी नरेगा में पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण उत्तराखण्ड में सामग्री ढुलान अत्यन्त मंहगा होता है, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों में पहुचने पर सामग्री की वास्तविक लागत में काफी बढ़ोत्तरी हो जाती है। इस कारण महात्मा गांधी नरेगा अन्तर्गत टिकाऊ प्रवृत्ति के कार्य कराने में कठिनाई होती है। इसलिऐ पर्वतीय राज्यों हेतु श्रम सामग्री अनुपात 60:40 की जगह के बजाय 50:50 किया जाना गुणवत्तापूर्ण स्थायी सम्पत्तियों के निर्माण में सहायक सिद्व होगा।


सतपाल महाराज ने अनुरोध किया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ( Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana ) के अन्तर्गत वर्तमान में योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार पर्वतीय राज्यों में 250 से अधिक आबादी की पात्र बसावटों को ही संयोजित किये जाने का लक्ष्य है, जबकि पर्वतीय राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों एवं जनसख्यां के विरल घनत्व को दृष्टिगत रखते हुए योजनान्तर्गत 250 के स्थान पर 150 किया जाए। सतपाल महाराज ने कहा कि कि पहाड़ी राज्यों में जनसंख्या का घनत्व कम होता है तथा क्षेत्रफल ज्यादा है, जहां तक उत्तराखण्ड का सवाल है राज्य से नेपाल तथा चीन की अर्न्तराष्ट्रीय सीमाऐं जुड़ी हुई है, तथा इऩ क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास अन्य क्षेत्रों के मुकाबले कम हुआ है जिसके कारण यहां से लोगों का पलायन हो रहा है, जो कि सुरक्षा की दृष्टि से अनुकूल नहीं है अतः हिमालयी राज्य हेतु सीमान्त क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अर्न्तगत भारत सरकार द्वारा दिये जाने वाले आंवटन को बढ़ाया जाये।


इसके साथ यह सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का नाम प्रधानमंत्री सम्पर्क सड़क योजना रखा जाये जिससे रोपवे सेक्टर में भी इसका लाभ उठाया जा सके क्योंकि गर्मी के दौरान सभी पहाड़ी राज्यों में पर्यटकों की भारी आवाजाही होती है इससे लंबे ट्रैफिक जाम और भारी प्रदूषण का खतरा पैदा होता है। इसके अलावा, पहाड़ियों में रोपवे लोगाें को माल ढोने तथा परिवहन का बहुत अच्छा साधन हो सकता है। यात्रा के समय को कम कर सकता है और साथ ही दुर्घटनाओं में भी कमी ला सकता है। उन्होंने भारत सरकार से रोपवे सैक्टर में गौरीकुण्ड से केदारनाथ, नैनीताल रोपवे, गोविन्दघाट से हेमकुण्ड के लिए एक अलग केन्द्र की सहायता से योजना शुरू करने का अनुरोध किया।

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