कीड़ा जड़ी पिथौरागढ जिले के धारचूला और मुनस्यारी में पाया जाता है। इसके अलावा यह अन्य हिमालयी राज्यों में भी पाया जाता है। इसका उपयोग शक्तिशाली टॉनिक और कैंसर की दवाओं के उत्पादन में किया जाता है। विदेशी व्यापारी इसे 20 लाख रुपये किलो की दर से भी हाथोंहाथ खरीद लेते हैं।
बर्फ पिघलने के बाद निकलता है यार्सा गंबू यार्सा गंबू एक औषधीय मशरूम है। जब यह परिपक्व होती है तो इसके स्पोर बीजाणु जमीन में पहुंचते हैं। इसे हेपिलस प्रजाति का कीड़ा मिट्टी में अपने भोजन के साथ खा लेता है, जिसके बाद इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस प्रक्रिया में कीड़ा मरता है और फफूंद कीड़े का आकार लेती है। बर्फ पिघलने के बाद इसमें से धागे की तरह तंतु बाहर आता है।
यहां होता है उत्पादन कीड़ा जड़ी का उत्पादन उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सेला, धर, सुमुदुंग, खर्तो, चल, नागलिंग, बालिंग, बौन, पंचाचूली, राजरंभा, लास्पा धूरा, नागनी धूरा, बलाती, छिपलाकेदार, कनार, जुम्मा के अलावा दारमा घाटी के घोड़धाप, आदि बुग्यालों में होता है। इसके अलावा अन्य उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी यार्सा गंबू का उत्पादन होता है।
40 हजार लोग प्रभावित मौसम परिवर्तन के कारण देरी से हुई बर्फबारी ने हिमालय की कीड़ा जड़ी कारोबार से गुजर बसर करने वाले 40 हजार से अधिक लोगों का जीवन प्रभावित किया है। इससे लोगों में मायूसी है।