सजग हो गया यह विभाग
दरअसल उत्तराखंड में बढ़ रही भूस्खलन की घटनाओं और निरंतर आ रहे भूकंप के झटकों को ध्यान में रखकर आपदा प्रबंधन काफी सजग है। खास बात यह है कि भवन निर्माण के दौरान आपदा प्रबंधन द्वारा प्रशिक्षित राजमिस्त्रियों से ही भवन निर्माण के कार्य को प्राथमिकता देने पर जोर दिया जाएगा। ऐसे राजमिस्त्रियों को पंजीकृत करने का काम भी जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। आपदा प्रबंधन के मुताबिक जुर्माने की यह व्यवस्था पूरे उत्तराखंड में लागू की जाएगी। लेकिन फिलहल रुद्रप्रयाग,उत्तरकाशी,पिथौरागढ़ ,चमोली और चंपावत जनपदों में चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना है।
भूस्वामी होंगे दंडित
आपदा प्रबंधन के मुताबिक भूकंपरोधी भवन नहीं बनने पर लंबाई और चौड़ाई के हिसाब से भूस्वामी को दंडित किया जाएगा। इसकी रूपरेखा पूरी तरह से तैयार होने में करीब दो माह का समय लग जाएगा। आपदा प्रबंधन के भूगर्भीय वैज्ञानिक सुशील खंूडड़़ी का कहना है कि इस दिशा में कार्य किया जा रहा है। अब तक जुर्माने की कोई व्यवस्था नहीं है। लेकिन इस नयी नियमावली के बन जाने से भूकंपरोधी भवनों के निर्माण में तेजी आने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि पर्यटन विभाग द्वारा समय पर काम नहीं करने पर निर्माणदायी संस्था या फिर एजेंसियों पर जुर्माना लगाने की नियमावली पर मुहर लगाई है।