उत्तराखंड में लोस चुनाव के लिए बद्रीनाथ विस का राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय डुमक भी सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। गोपेश्वर से 55 किमी सड़क मार्ग का सफर और उसके बाद 20 किमी पैदल दूरूह रास्ते पार कर इस मतदेय स्थल तक पहुंचना पड़ता है। इस मतदेय स्थल तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को करीब दो दिन का समय लग जाता है। इसके अलावा धारचूला विस का राजकीय प्राथमिक विद्यालय कनार भी मतदेय स्थल है। इस मतदेय स्थल तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को उबड़-खाबड चट्टानों और दुरूह पगडंडियों को पार कर 18 किमी पैदल चलना पड़ेगा।
ये बूथ जिला मुख्यालय से 255 किमी दूर
विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में मतदान संपन्न कराना बड़ी चुनौती मानी जाती है। राज्य में चकराता विस का राजकीय प्रावि डांगूठा बूथ जिला मुख्यालय से 255 किमी दूर है। इसके अलावा उत्तरकाशी का राजकीय प्रावि ओसला बूथ जिला मुख्यालय से 200 किमी दूर है। खासबात ये है कि इस बूथ तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को 14 किमी पैदल सफर भी तय करना पड़ेगा।
विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में मतदान संपन्न कराना बड़ी चुनौती मानी जाती है। राज्य में चकराता विस का राजकीय प्रावि डांगूठा बूथ जिला मुख्यालय से 255 किमी दूर है। इसके अलावा उत्तरकाशी का राजकीय प्रावि ओसला बूथ जिला मुख्यालय से 200 किमी दूर है। खासबात ये है कि इस बूथ तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को 14 किमी पैदल सफर भी तय करना पड़ेगा।
कई बूथों में शौचालय और पेयजल की व्यवस्था नहीं
राज्य के कई बूथों पर मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। सरकारी आकड़ों के मुताबिक राज्य के 6 फीसद बूथों पर रैंप, 2 फीसद बूथों पर बिजली, दो फीसद बूथों पर पेयजल, आठ फीसद बूथों पर शेड और दो फीसद बूथों पर फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है।
राज्य के कई बूथों पर मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। सरकारी आकड़ों के मुताबिक राज्य के 6 फीसद बूथों पर रैंप, 2 फीसद बूथों पर बिजली, दो फीसद बूथों पर पेयजल, आठ फीसद बूथों पर शेड और दो फीसद बूथों पर फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है।