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राष्ट्रपति ने हरिद्वार में किया ज्ञान कुंभ का उद्घाटन,बोले-शिक्षकों का काम है प्रतिभा को तलाशना और संवारना

locationदेहरादूनPublished: Nov 03, 2018 05:03:11 pm

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Prateek

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने कहा कि देश में सदियों से धार्मिक कुंभ की परम्परा रही है। हरिद्वार, कुंभ के आयोजन की पावन भूमि रही है…

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(देहरादून/हरिद्वार): शनिवार को हरिद्वार के पतंजलि विद्यापीठ में उत्तराखंड के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा उच्चतर शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन ‘ज्ञान कुम्भ’ का शुभारंभ हुआ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसका विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, नगालैंड के राज्यपाल पीबीआचार्य, उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत, स्वामी रामदेव, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा सहित विभिन्न राज्यों के शिक्षा मंत्री, विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षाविद और काफी संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे।


शिक्षा क्षेत्र में सार्थक पहल ज्ञान कुंभ

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने कहा कि देश में सदियों से धार्मिक कुंभ की परम्परा रही है। हरिद्वार, कुंभ के आयोजन की पावन भूमि रही है। उन्होंने उत्तराखंड के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित ज्ञान कुंभ को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सार्थक पहल बताया।


शिक्षा ही प्रगति का आधार

उन्होंने कहा कि शिक्षा ही व्यक्ति, परिवार, समाज और देश की प्रगति का आधार होती है। देश के संविधान में शिक्षा की जिम्मेदारी, केंद्र और राज्य दोनों को दी गई है। ज्ञान कुंभ द्वारा उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए केंद्र और राज्यों में नया समन्वय स्थापित हो रहा है, उत्तराखंड ने इसका उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ज्ञान कुंभ में विभिन्न सत्रों में सार्थक और उपयोगी विमर्श होगा। जिससे उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए सहायता मिलेगी।


शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण

राष्ट्रपति ने कहा कि गुणात्मक शिक्षा में शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हर बच्चे में कोई न कोई प्रतिभा अवश्य होती है, उस प्रतिभा को तलाशने और निखारने का काम शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों का होता है। यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी बच्चा गरीबी या किसी भी कारण से शिक्षा के अवसर से वंचित नहीं रहे। ज्ञान के साथ संस्कारों के बीज भी रोपित करना शिक्षकों की जिम्मेवारी है। परंतु यह काम वही शिक्षक कर सकते हैं जिनमें स्वयं त्याग और संवेदनशीलता हो।

 

महापुरूषों के जीवन से ले सीख

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में आदर्श शिक्षकों के अनेक प्रेरक उदाहरण हैं। शिक्षा और नैतिकता के बल पर राष्ट्र निर्माण में आचार्य चाणक्य, सभी शिक्षकों के लिए अनुकरणीय हैं। राष्ट्रपति ने बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के अध्यापक डा. अम्बेडकर के साथ ही डा. एस. राधाकृष्णन, महामना मदन मोहन मालवीय और डा. एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन से सीख लेने की बात कही।

 

उच्च शिक्षा में शोध को देना होगा बढावा

राज्यपाल बेबीरानी मौर्य ने कहा कि कुंभ नगरी हरिद्वार में ज्ञान कुंभ का आयोजन निश्चित रूप से राष्ट्रीय शैक्षिक परिदृष्य के लिए हितकारी होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ज्ञानकुंभ का आयोजन उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासक पहल है। इसमें होने वाले वैचारिक मंथन से जो अमृत निकलेगा वह देश की उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने में महत्वपूर्ण साबित होगा। शिक्षा एक एेसा धन होता है जिसे न तो चुराया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान मे देश में 903 विश्वविद्यालय हैं और 39 हजार कॉलेज हैं। आज आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में गुणात्मक उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने की है। उच्च शिक्षा में शोध को बढावा देना होगा।


उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने राष्ट्रपति का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि ज्ञान कुंभ में विभिन्न राज्यों के शिक्षा मंत्री, विश्वविद्यालयों के कुलपति, 500 डिग्री कॉलेजों के प्राचार्य, 350 शोध छात्र, दो हजार मेधावी छात्र सहित 10 हजार शिक्षाविद यहां आए हुए हैं। उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए आयोजित इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में कुल सात तकनीकी सत्रों का आयोजन किया जा रहा है।

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