अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसियां
इस बारे में प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) आनंद वर्धन का कहना है कि केंद्र को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। सीमा क्षेत्र में सतर्कता बरती जा रही है। सुरक्षा से जुड़ी सभी एजेंसियां अलर्ट पर हैं। चिंता जैसी कोई बात नहीं है।
गौरतलब है कि चीन की ओर से बीते 14 और 15 अगस्त को भी ऐसी ही कोशिश देखने को मिली थी। सूत्रों के मुताबिक भारतीय सीमा में 500 मीटर तक चीनी सैनिक इस बार घुसे हैं। इसके पहले वर्ष 2014 में एक चीनी हेलीकाप्टर बाड़ाहोती क्षेत्र में देखा गया था। फिर 2015 में भी चीनी सैनिकों ने चरवाहों के साथ मारपीट की थी।
घुसपैठ करने से बाज नहीं आ रहा ड्रैगन
वर्ष 2016 में चीनी सैनिक भारतीय सीमा में प्रवेश कर गए थे। वर्ष 2017 में भी तीन जून को बाड़ाहोती में दो हेलीकाप्टर भारतीय सीमा में मंडराते हुए मिले थे। दरअसल भारत और चीन के बीच बाड़ाहोती क्षेत्र में 90 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चारगाह फैला हुआ है। भारत और चीन दोनों ही इस चारगाह पर अपना-अपना दावा करते हैं। अक्सर ही भारतीय पशुपालक चारा के लिए यहां आते हैं। जैसे ही चीनी सैनिकों को पशुपालकों के आने की भनक लगती है, वे इस चारागाह में पहुंच जाते हैं और भारतीय पशुपालकों के साथ मारपीट करते हैं। इस बार तो चीनी सैनिक भारत -तिब्ब्त पुलिस चौकी तक पहुंच गए थे। हालांकि भारत चीन के सामने इस घुसपैठ को लेकर अपनी नाराजगी जता चुका है, लेकिन चीन पर इसका कोई असर अब तक नहीं पड़ा है।
दहशत में नागरिक
असल में चीनी सैनिकों के लगातार इस क्षेत्र में घुसपैठ से स्थानीय सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के बीच काफी दहशत है। घुसपैठ पर नजर रखने के लिए वर्ष 2000 में चीन और भारत की सरकारों ने एक संयुक्त फैसला लिया था जिसमें यह तय किया गया था कि इस क्षेत्र में बिना हथियार के दोनों ही देशों के सैनिक गश्त करेंगे। हालांकि इसका पालन आज भी दोनों ही देश के सैनिक करते हैं।
भारते के हर कदम पर नजर रखना चाह रहे
सूत्रों के मुताबिक तुनजुन ला के पास भारत की ओर से सडक़ विस्तार का कार्यक्रम चलाने की योजना है, जिसकी भनक चीन को है। माना जा रहा है कि समय समय पर चीन के सैनिक यह देखने के लिए आते हैं कि भारत की ओर से सडक़ विस्तार का कार्यक्रम शुरू हुआ या नहीं। सूत्रों के मुताबिक भारत की ओर से सडक़ विस्तार को लेकर सर्वेक्षण का काम शुरू हो चुका है। जल्द ही विस्तार कार्य शुरू किया जाएगा। इधर चमोली जिला प्रशासन की आेर से वहां की रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को मिल चुकी है।