scriptश्राइन बोर्ड विधेयक पर उत्तराखंड विधानसभा में भारी हंगामा | There was a huge uproar in the Uttarakhand Assembly on the Shrine Boar | Patrika News
देहरादून

श्राइन बोर्ड विधेयक पर उत्तराखंड विधानसभा में भारी हंगामा

उत्तराखंड विधानसभा ( Uttarakhand Assembly ) में विपक्षी कांग्रेस ने ( Congress opposed ) चारधाम श्राइन बोर्ड के ( Shrine Board bill opposed ) गठन से संबंधित प्रस्तावित विधेयक को वापस लिये जाने की मांग को लेकर जोरदार हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित हुई।
 
 

देहरादूनDec 09, 2019 / 07:21 pm

Yogendra Yogi

श्राइन बोर्ड विधेयक पर उत्तराखंड विधानसभा में भारी हंगामा

श्राइन बोर्ड विधेयक पर उत्तराखंड विधानसभा में भारी हंगामा

देहरादून(अमरश्रीकांत): उत्तराखंड विधानसभा ( Uttarakhand Assembly ) में विपक्षी कांग्रेस ने ( Congress opposed ) चारधाम श्राइन बोर्ड के ( shrine board bill opposed ) गठन से संबंधित प्रस्तावित विधेयक को वापस लिये जाने की मांग को लेकर जोरदार हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित हुई। वहीं, सदन के बाहर भी तीर्थ-पुरोहितों श्राइन बोर्ड के गठन का पुरजोर विरोध किया। मालूम हो कि उत्तराखंड के 51 मंदिरों को श्राइन बोर्ड के अंतर्गत ( 51 Temple will be under Board ) लाने की योजना है, यदि यह व्यवस्था लागू हो जाती है तो राज्य के सभी बड़े मंदिर सरकार के अधीन हो जाएंगे और संचालन भी सरकार ही करेगी।

विपक्ष रहा हमलावर
सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विधेयक को पटल पर रखा गया। नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश की अगुआई में कांग्रेस के सदस्य अपने स्थानों पर खड़े हो गये और सदन के सदस्यों को विश्वास में लिए बिना उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक को पारित करवाने की राज्य सरकार की मंशा को लेकर सवाल खड़े किये। विपक्ष पहले से ही महंगाई और रोजगार के मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष पर हमलावर है।

विपक्ष ने बताया जन आस्था का विषय
नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा का कहना है कि विपक्ष की चिंता श्राइन बोर्ड को लेकर है। सत्ता पक्ष द्वारा बिना विपक्ष को विश्वास में लिए यह विधेयक लाया गया है, जो जरा भी तर्कसंगत नहीं है। विरोध के बावजूद सदन में विधेयक पास हो रहे हैं। डॉ. हृदयेश ने श्राइन बोर्ड को लोगों की आस्था से जुड़ा विषय बताया। साथ ही, कहा कि यह लोगों की आस्था से जुड़ा विषय है। सरकार तानाशाही करेगी तो इसका अंजाम उसे भुगतना पड़ेगा।
नेता प्रतिपक्ष का कहना था कि वैष्णव देवी मंदिर और यहां का हालात भिन्न हैं। फिर भी सरकार इतने बड़े निर्णय तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूक धारियों को विश्वास में लिए बिना लिया है। कैबिनेट की संस्कृति के बाद भी सरकार ने इस विधेयक का खाका सदन में उपलब्ध नहीं कराया। उन्होंने कहा कि इस पर सरकार चचाज़् करे। जवाब में मदन कौशिक ने कहा कि किस नियम के तहत चर्चा करें यह बताया जाए।

विपक्ष आ गया वेल में
इस बीच, विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल ने सदस्यों को अपने स्थानों पर बैठने को कहा ताकि पहले से निर्धारित सदन का कामकाज निपटाया जा सके लेकिन गोविंद सिंह कुंजवाल, प्रीतम सिंह, करण माहरा, हरीश धामी समेत कांग्रेस के अन्य सदस्य विधेयक वापस लिए जाने की अपनी मांग को लेकर नारेबाजी करते हुए वेल के सामने आ गये। और कुछ देर बाद कांग्रेस के सदस्य वहीं धरने पर बैठ गये और श्रीमन नारायण नारायण के भजन गाते रहे।

तीर्थ पुरोहित समाज का विरोध
उधर, सदन के बाहर चारधाम विकास परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष शिव प्रसाद ममगांई ने कहा कि अलग-अलग मंदिरों की अलग-अलग पूजा विधि है। लिहाजा, वैष्णव देवी मंदिर और तिरूपति मंदिर की पूजा पद्धति की अलग-अलग व्यवस्था है। और उत्तराखंड के मंदिरों की अलग-अलग है। यदि श्राइन बोर्ड को लाया जाएगा तो हमारी परंपराओं का धक्का लगेगा। जिसे तीर्थ-पुरोहित समाज बर्दाश्त नहीं करेगा।

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