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इस मंदिर में पांच सौ से साल मनाई जा रही है होली की यह परंपरा

locationदेहरादूनPublished: Mar 05, 2020 07:53:54 pm

Submitted by:

Yogendra Yogi

15 वीं शताब्दी में चंद राजाओं के दरबार से शुरू हुई होली की परंपरा कुमाउं गढ़वाल ( Historical Holi tradition ) और देश के दूसरे कोनों में होते हुए विदेशों में भी ( Ancient glorious kumaoni holi ) पहचान बना रही है।

इस मंदिर में पांच सौ से साल मनाई जा रही है होली की यह परंपरा

इस मंदिर में पांच सौ से साल मनाई जा रही है होली की यह परंपरा

देहरादून: 15 वीं शताब्दी में चंद राजाओं के दरबार से शुरू हुई होली की परंपरा कुमाउं गढ़वाल ( Historical Holi tradition ) और देश के दूसरे कोनों में होते हुए विदेशों में भी ( Ancient glorious kumaoni holi ) पहचान बना रही है। पांच सौ साल पुरानी इस परंपरा का निर्वहन करते हुए टपकेश्वर स्थित माता वैष्णो देवी गुफा योग मंदिर में हुड़के की थाप और ढोल नगाड़े की ताल पर खड़ी होली धूमधाम से मनाई।

गूंजे होली के पारंपरिक गीत
टपकेश्वर महादेव स्थित माता वैष्णो देवी गुफा योग मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना के बाद आचार्य बिपिन जोशी ने हमारी पहचान रंगमंच के कलाकारों का अबीर गुलाल लगाकर स्वागत किया। हमारी पहचान रंगमंच के कलाकारों ने इस दौरान मश्कबीन की धुन पर पारंपरिक परिधानों में कलाकारों ने सुंदर नृत्य प्रस्तुति दी। हमारी पहचान रंगमंच की होल्यारों की टोली होली तक लगातार इसी तरह शहर के कई स्थानों पर जाकर होली गीत गाएगी।

मंदिरों में मनी ऐसी होली
इसके बाद टपकेश्वर महादेव और माता वैष्णो देवी गुफा योग मंदिर के दर्शन के बाद होल्यारों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रो और परिधानों में होली के गीतों की सुंदर प्रस्तुति दी। इस दौरान कलाकारों ने आज बिरज में होरी रे रसिया, झनकारो झनकारो प्यारो लगे तेरे झनकारो और शिव के मन माहि बसे काशी आदि सुमधुर गीतों पर सुंदर नृत्य प्रस्तुति पर वाहवाही लूटी। साथ ही एक दूसरे पर गुलाल लगाकर होली की बधाई दी।

कुमाउं की बेमिसाल परंपरा
आचार्य बिपिन जोशी ने बताया कि 15 वीं शताब्दी में चंद राजाओं के दरबार से शुरू हुई होली की परंपरा कुमाउं गढ़वाल और देश के दूसरे कोनों में होते हुए विदेशों में भी पहचान बना रही है। उन्होंने बताया कि ब्रज होली की पंरपरा राग रागिनी पर आधारित कुमाउनी होली अपनी विशिष्ट पहचान रखती है। इस दौरान हमारी पहचान रंगमंच के अध्यक्ष कैलाश चंद्र पाठक, बबिता शाह लोहनी, मदन जोशी, शेर सिंह बिष्ट, पुष्पा बिष्ट, चार धाम यात्रा विकास परिषद के अध्यक्ष शिव प्रसाद ममगाईं, डा. मथुरा दत्त जोशी, अखिल गढ़़वाल सभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना, कूमाज़्ंचल कल्याण विकास परिषद के अध्यक्ष कमल रजवार, आदि मौजूद रहे।

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