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उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र में अतिक्रमण पर सत्ता और विपक्ष में नोकझोंक

locationदेहरादूनPublished: Sep 19, 2018 09:19:12 pm

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Prateek

इस बीच पीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि वह कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए अतिक्रमण से प्रभावित लोगों की पीड़ा को समझे और उचित हल भी निकाले…

 सदन

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(पत्रिका ब्यूरो,देहरादून): सदन में बुधवार को अतिक्रमण पर सत्तारूढ़ दल और विपक्षी कांग्रेस के बीच काफी नोकझोंक हुई। अतिक्रमण पर शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के जवाब से नाखुश कांग्रेस के सदस्यों ने वेल में पहुंचकर नारेबाजी की। इसके इतर अतिक्रमण पर कई बार कांग्रेस के सदस्यों ने सरकार को घेरने और मदन कौशिक की भाषा पर सवाल उठाते हुए हो हल्ला भी किया। इस बीच पीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि वह कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए अतिक्रमण से प्रभावित लोगों की पीड़ा को समझे और उचित हल भी निकाले।


शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कांग्रेस के विधायक करन माहरा के इस सवाल पर कि कोर्ट सरकार को बार-बार निर्देश दे रहा है। सरकार अपना पक्ष ही कोर्ट में मजबूती के साथ नहीं रख पा रही है के जवाब में कहा कि कोर्ट की समीक्षा सरकार नहीं कर सकती है। लेकिन यह जानना बेहद जरूरी है कि जन हित याचिका डालने वाले लोग कौन हैं। शहरी विकास मंत्री ने कहा कि अतिक्रमण पर कोर्ट का फैसला आने के बाद हर पक्ष से सरकार ने चर्चा की है। केवल इतना ही नहीं है सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई है। पर वहां से भी रियायत नहीं मिली। बावजूद 600 मलिन बस्तियों को उजडऩे से बचाने के लिए सरकार अध्यायदेश ले आई। कौशिक ने कहा कि रुद्रपुर का भी संज्ञान लिया गया है। सरकार सुप्रीम कोर्ट भी जाएगी।


उन्होंने सदन को बताया कि जिनके घर और दुकान एक साथ थे और तोड़े गए हैं उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत साढ़े तीन लाख के मकान दिए जाएंगे। कौशिक ने स्पष्ट किया कि गली मुहल्लों को अतिक्रमण का शिकार नहीं होने देंगे। कालोनियों को भी इससे वंचित रखा जाएगा। कौशिक ने कहा कि अतिक्रमण केवल मुख्य मार्गों पर ही हुआ है।


कौशिक के जवाब से विपक्ष कतई संतुष्ट नहीं दिखा। विपक्ष का कहना था कि जिन सडक़ों के चौड़ीकरण के लिए सरकार ने ध्वस्तीकरण का फार्मूला अपनाया है। उन सडक़ों की हालात काफी बदतर है। गड्ढ़ों की भरमार है। विपक्ष की नेता इंदिरा हृदयेश ने कहा कि सरकार प्रश्नों का जवाब नहीं दे रही है। उसके बाद विपक्ष के सदस्य वेल में पहुंचकर तानाशाही नहीं चलेगी के नारे लगाना शुरू कर दिए।


इसके पहले इंदिरा हृदयेश ने रुद्रपुर का हवाला देते हुए कहा कि नजूल भूमि पर बसे लोगों के मकानों को तोडऩे के लिए चिन्ह लाग दिए गए हैं। सितारगंज का उल्लेख करते हुए विपक्ष की नेता इंदिरा हृदयेश ने कहा कि वहां तो एक गांव पूरी तरह से उजडऩे की स्थिति में है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि 40 साल से अधिकारी क्या कर रहे थे। कांग्रेस के विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर दुकानों और घरों को तोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अधिकारी 1904और 1938 का नक्शा लोगों को दिखा रहे हैं। साल 1938 में देहरादून का प्रतीक घंटा घर भी नहीं था। कांग्रेस के नेता गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि सरकार को बसाने की दिशा में काम करना चाहिए। करन माहारा ने कहा कि नैनीताल में 30—30 साल पट्टों को निरस्त किया गया है। उन्होंने हरिद्वार,रुद्रपुर,गदरपुर और देहरादून में हुए अतिक्रमण का उल्लेख किया और कहा कि इससे पूरा प्रदेश तबाह हो गया है।

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