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देहरादून

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के खिलाफ विधायकों का जहर उगलना नहीं हुआ बंद, शाह ने मांगी 5 दिन के अंदर रिपोर्ट, निलंबन हो सकता है विधायकों का

शाह ने प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष से यह भी कहा है कि आगामी 5 दिनों के अंदर जांच की रिपोर्ट दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में भेज दी जाए

देहरादूनJul 17, 2018 / 05:55 pm

Shailesh pandey

rawat file photo

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(अमर श्रीकांत की रिपोर्ट)
देहरादून। उत्तराखंड में भाजपा के अंदर की सियासत इन दिनों काफी गरम है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ उनकी ही पार्टी के विधायकों का जहर उगलने का सिलसिला जारी है हालांकि मामला भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के कोर्ट में पहुंच चुका है। माना जा रहा है कि शाह ने भी पूरे प्रकरण को काफी गंभीरता से लिया है। उन्‍होंने उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष अजय भट्ट को आदेश दिया है कि वे पूरे मामले की प्रदेश स्तर पर एक टीम गठित करके पड़ताल कराएं। शाह ने प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष से यह भी कहा है कि आगामी 5 दिनों के अंदर जांच की रिपोर्ट दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में भेज दी जाए।

 

भाजपा हाईकमान की साजिश रचने वालों पर नजर


भाजपा हाईकमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ साजिश रचने वालों पर नजर रखे हुए हैं। साथ ही भाजपा हाईकमान अपने स्तर पर यह पता लगाने की कोशिश में जुटा हुआ है कि आखिर मुख्यमंत्री के खिलाफ बीते एक पखवाड़े से जो भी साजिश रची जा रही है उसके पीछे क्या किसी सांसद का हाथ है। या फिर संगठन की ओर से ही जानबूझ कर मुख्यमंत्री के खिलाफ षडय़ंत्र रचा जा रहा है। सूत्रों की मानें तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इस प्रकरण को लेकर मुख्यमंत्री से मंगलवार की सुबह बातचीत भी की है। साथ ही इस बात के संकेत भी दिए हैं कि दोनों विधायक संजय गुप्ता और स्वामी यतीश्वरानंद को जांच रिपोर्ट आने के बाद निलंबित भी किया जाएगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मुख्यमंत्री को स्पष्ट कहा है कि वे निडर होकर शासन करें। किसी भी विधायक या फिर संगठन के पदाधिकारी से उन्हें डरने की आवश्यकता नहीं है।

 

विधायकों ने फिर की आपत्तिजनक टिप्पणी


भाजपा के दोनों विधायकों ने मंगलवार को भी फिर से आपत्तिजनक टिप्पणी की है। इससे पूरा मामला गरमाया हुआ है। दरअसल विधायक विकास कार्यों में हो रही लापरवाही को लेकर मुख्यमंत्री को निशाना बनाए हुए हैं। लेकिन भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि दोनों ही विधायक सरकार पर दबाव बनाकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मंत्रिमंडल में शामिल होना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री के मंत्रिमंडल में काफी लंबे समय से मंत्रियों के दो पद रिक्त हैं। इन रिक्त पदों को भरने की मांग को लेकर कुछ विधायक मुख्यमंत्री के खिलाफ अनाप शनाप टिप्पणी भी कर चुके हैं। दायित्व आवंटन को लेकर विधायक और संगठन के पदाधिकारी मुख्यमंत्री से नाराज चल रहे हैं और कई बार दायित्व आवंटन की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के खिलाफ अपनी आवाज भी बुलंद कर चुके हैं। प्रदेश में भाजपा की सरकार बने करीब सवा साल हो चुका है। उस समय से ही मंत्रियों के दो पद रिक्त हैं और दायित्व आवंटन पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ब्रेक लगा रखा है।

हरकत अक्षम्य
विधायकों की हरकत अक्षम्य है। हाईकमान ने पूरे प्रकरण को गंभीरता से लिया है। पार्टी विधायकों के जवाब का इंतजार कर रही है।

अजय भट्ट ,अध्यक्ष ,उत्तराखंड

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