सीएम ने की सीबीआई जांच की मांग
तकरीबन 8 माह पहले हरिद्वार-ऊधम सिंह नगर-बरेली राष्ट्रीय राज मार्ग (एनएच—74) में हुए घोटाले की भनक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लगी और उन्होंने केंद्र से इस मामले की सीबीआई द्वारा पड़ताल कराने की संस्तुति की लेकिन केंद्र सरकार ने सीबीआई से पड़ताल कराने की उत्तराखंड सरकार की मांग को ठुकरा दिया।
सीबीआई जांच पर सहमत नहीं केंद्र
सूत्रों के मुताबिक भूतल, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी चाहते थे कि इस प्रकरण की जांच सीबीआई द्वारा नहीं कराई जाए। सूत्र यह भी बताते हैं कि गडकरी ने मुख्यमंत्री को इस बारे में एक पत्र भी लिखा और कहा कि किसी अन्य एजेंसी से एनएच—74 की जांच कराई जाए।
एसआईटी कर रही मामले की जांच
केंद्र द्वारा सीबीआई की पड़ताल में रुचि नहीं दिखाने पर मुख्यमंत्री ने विशेष जांच दल (एसआईटी) को पूरे मामले की पड़ताल की जिम्मेदारी सौंपी। एसआईटी ने जांच शुरू की और कुल 22 लोगों को गिरफ्तार किया और 2 करोड़ रुपए वसूले। उसके बाद एसआईटी ने इन दोनों आईएएस अधिकारियों को भी जांच के दायरे में लिया। क्योंकि दोनों अधिकारी बारी बारी से ऊधम सिंह नगर जनपद के जिलाधिकारी रह चुके हैं। इन अधिकारियों पर यह आरोप भी लगता रहा कि दोनों ने जिलाधिकारी रहते हुए आर्बिट्रेटर की भूमिका निभाने के दौरान नियम विरूद्ध मुआवजे वितरित किए।
यूं दिखी आईएएस अधिकारियों की संलिप्तता
असल में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय ऊधम सिंह नगर में एनएच -74 के चौड़ीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण हुआ। भूमि का लैंड यूज चेंज कर कई गुना मुआवजा वसूला गया। केवल इतना ही नहीं, कृषि भूमि को अकृषि दर्शाकर कई गुना मुआवजा भी वसूला गया। पड़ताल के दौरान उत्तराखंड कांग्रेस के खाते की भी पड़ताल हुई। दोनों आईएएस अधिकारियों पर आरोप है कि दोनों ने अपने अपने कार्यकाल में नियम विरूद्ध मुआवजा निर्धारित किया। जब एसआईटी ने पड़ताल शुरू की तो कई किसानों ने रुपए भी लौटाए। किसानों से 2 करोड़ रुपए वसूले गए हैं।
400 करोड तक पहुंची घोटाले की रकम
एसआईटी ने माना है कि करीब 400 करोड़ रुपए का एनएच घोटाला है। यह राशि बढ़ भी सकती है। माना जा रहा है कि इसकी आंच कुछ और आईएएस अधिकारियों पर गिर सकती है। साथ ही कुछ नेताओं से भी एसआईटी पूछताछ करेगी। गौरतलब है कि बीते विधानसभा चुनाव के पहले कुछ वरिष्ठ कांग्रेस नेता भाजपा में शामिल हुए थे। इन नेताओं से भी पूछताछ की संभावना जताई जा रही है।
इस मामले की जानकारी देते हुए राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिहं रावत ने बताया कि ‘करीब 400 करोड़ का घोटाला है। सरकार किसी को भी नहीं बख्शने के मूड में है। जीरो टालरेंस पर सरकार काम कर रही है। जांच जारी रहेगी। उत्तराखंड सरकार अपना काम कर रही है।